नवीन चौहान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बैंक कर्मचारियों के जीवन की कोई परवाह नहीं है। बैंक कर्मचारियों को फ्रंट लाइन वर्कर भी नहीं मानती। यही कारण है कि बैंक कर्मचारियों का अभी तक वैक्सीनेशन तक नहीं कराया गया। जबकि जनता के बीच सबसे अधिक रहने वाले बैंक कर्मचारी लगातार कोरोना संक्रमण की चपेट में आ रहे है। कई बैंक कर्मचारियों की मृत्यु तक हो चुकी है।
कोरोना संक्रमण से देश के हालात बिगड़ चुके है। कोरोना संक्रमण बेकाबू हो गया है। केंद्र व प्रदेश सरकार कोरोना संक्रमण से जनता को सुरक्षित बचाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। एक ओर तो कोरोना से सुरक्षित बचाने के लिए वैक्सीनेशन अभियान चलाया गया। दूसरी ओर भारत सरकार ने गाइड लाइन जारी करके दो गज की दूरी, मास्क को अनिवार्य किया गया। लेकिन हम बात कर रहे बैंक कर्मचारियों की। बैंक कर्मचारियों के लिए केंद्र सरकार की ओर से कोई दिशा निर्देश जारी नही किए गए। कोरोना संक्रमण काल में पहले दिन से ही अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे बैंक कर्मचारी कोरोना के बीच डटकर मुकाबला कर रहे है। जनता के पैंसों की हिफाजत करने के साथ ही उनके लेनदेन के कार्यों को पूरा कर रहे है।
बैंक में जनमानस को प्रतिदिन कार्य होता है। अपनी जमापूंजी और दैनिक खर्च के लिए वेतन निकालने से लेकर तमाम कार्य बैंक के सहयोग से पूरे होते है। यही कारण है कि जनता का सीधा संपर्क बैंक से होता है। लेकिन कोरोना काल में केंद्र सरकार की ओर से बैंक कर्मचारियों के लिए कोई प्रभावी कदम नही उठाए गए। जिसके चलते बैंक कर्मचारियों में काफी निराशा है। बैंक कर्मचारी अपने को छला हुआ महसूस कर रहे है। एक सामान्य नागरिकों की श्रेणी में ही बैंक कर्मचारियों को रखा गया है। जबकि बैंक कर्मचारियों को फ्रंट लाइन वर्कर की श्रेणी में रखते हुए उनको वैक्सीनेशन कराया जाना चाहिए था। फिलहाल केंद्र सरकार की इस उदासीनता पर बैंक कर्मचारी बेहद आहत दिखाई पड़ रहे है।