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डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल, हरिद्वार में दिनांक 26 मई से 31 मई तक सीबीएसई (CBSE) के निर्देशानुसार ‘एक सप्ताह भारतीय भाषा’ के अंतर्गत गढ़वाली भाषा का ज्ञान छात्रों को देने का प्रयास किया गया। जिससे उनके मन में एक नई भाषा के प्रति रूचि उत्पन्न हुई और उन्होंने यथासंभव ज्ञान ग्रहण किया। प्रधानाचार्य मनोज कपिल ने छात्र छात्राओं का उत्साह वर्धन किया।

सप्ताह के प्रथम दिवस छात्र-छात्राओं ने गढ़वाली भाषा में सरस्वती वंदना व छोटे-छोटे वाक्यों के माध्यम से अपना परिचय देना व अभिवादन करना सीखा। द्वितीय दिवस में छात्र-छात्राओं ने गढ़वाली भाषा में यातायात के नियमों के आधार पर वार्तालाप करना, ग्रामीण महिलाओं की आपसी बातचीत, दुकानदार और ग्राहक के मध्य वार्तालाप एवं यात्रियों के बीच यात्रा करते समय संवाद करना सीखा। तृतीय दिवस संगीत अध्यापक दीपक भट्ट ने सभी बच्चों को ‘ठंडो रे ठंडो मेरा पहाड़ की हवा……’ सुंदर गढ़वाली गीत सिखाया।

चतुर्थ दिवस नृत्य विभाग की अध्यापिका दीपमाला शर्मा ने उत्कृष्ट शैली के माध्यम से छात्र-छात्राओं को गढ़वाली नृत्य सिखाया। बच्चों ने गढ़वाली गीत व गढ़वाली नृत्य में उत्साहपूर्वक प्रतिभाग किया। पंचम दिवस सभी बच्चों को शिक्षाप्रद गढ़वाली फिल्म ‘कमली’ दिखाई गई। इस फिल्म का मुख्य उद्देश्य नारी सशक्तिकरण था। फिल्म दिखाने के पश्चात् फिल्म पर आधारित प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें सभी बच्चों ने उत्साहपूर्वक प्रतिभाग किया। इस प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय विजेता भी घोषित किए गए।

सप्ताह के समापन सत्र व अंतिम दिवस गढ़वाली व्यंजनों से छात्र-छात्राओं का परिचय कराया गया तथा विद्यार्थी गढ़वाली व्यंजन लाए। जिसमें मिट्ठू भात, कौल्थ दाल, चिलोड़ी मांडा, झंगोरा की खीर, आलू के गुटके, आलू का झोल, भट्ट की चटनी, मडुवे की रोटी, दनिया का रोट एवं फाणु भात आदि का स्वाद लिया गया। समापन सत्र में विद्यार्थियों ने गढ़वाली भाषा में अपने विचार व्यक्त किए। इसी श्रृंखला में पर्यवेक्षिका कुसुम बाला त्यागी ने छात्र-छात्राओं को बताया कि आप उत्तराखंड में रहते हैं इसलिए यहाँ की संस्कृति एवं भाषा का ज्ञान होना अनिवार्य है।

सत्र के अंत में प्रधानाचार्य मनोज कुमार कपिल ने छात्र-छात्राओं का उत्साह वर्धन करते हुए बताया कि इस सप्ताह उन्होंने एक सांस्कृतिक भाषा के माध्यम से गढ़वाल की संस्कृति को उत्साह पूर्वक सीखा, जिससे सभी विद्यार्थी अवश्य लाभान्वित हुए होंगे। साथ ही उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री अपने संबोधन में अलग-अलग भारतीय भाषाओं का प्रयोग करते हैं, चूँकि हमारा देश बहुभाषा-भाषी है अतः अधिक से अधिक भाषाओं का ज्ञान हमें होना चाहिए, ताकि हम अपने देश को अधिक-अधिक जान सकें। कार्यक्रम को सफल बनाने में हिंदी विभागाध्यक्षा कुसुम बाला त्यागी, नवनीत बलोदी, संदीप उनियाल, दीपक भट्ट, निधि यादव, दीपमाला शर्मा का विशेष योगदान रहा।