नवीन चौहान
दिल्ली पब्लिक स्कूल रानीपुर में सीबीएसई नई दिल्ली द्वारा ‘किशोरावस्था शिक्षण’ विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें हरिद्वार एवं रूड़़की के विभिन्न विद्यालयों से 30 शिक्षक शिक्षिकाओं ने भाग लिया। मुख्यवक्ता एवं विषय विशेषज्ञा के रूप में डीपीएस आरकेपूरम, दिल्ली की उपप्रधानाचार्य श्रीमती पदमा श्रीनिवासन ने सभी को सम्बोधित किया।
दिल्ली पब्लिक स्कूल रानीपुर में सीबीएसई नई दिल्ली द्वारा ‘किशोरावस्था शिक्षण’ विषय पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें हरिद्वार एवं रूड़़की के विभिन्न विद्यालयों से 30 शिक्षक शिक्षिकाओं ने भाग लिया। मुख्यवक्ता एवं विषय विशेषज्ञा के रूप में डीपीएस आरकेपूरम, दिल्ली की उपप्रधानाचार्य श्रीमती पदमा श्रीनिवासन ने सभी को सम्बोधित किया।
कार्यशाला के पहले दिन विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत स्वागतगान एवं दीपप्रज्ज्वलन से कार्यक्रम की शुरुवात की गयी। कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर मुख्य वक्ता श्रीमती पदमा श्रीनिवासन ने बताया कि वर्तमान में हमारा भारत देश में लगभग 25.3 करोड़ की किशोर जनसंख्या वाला देश है जो लगभग कुल जनसंख्या का 21 प्रतिशत है तथा इन सभी का सर्वागींण विकास ही देश के भावी विकास की तैयारी है। हम सबकी विशेषकर शिक्षकों जिम्मेदारी है कि इस आयु एवं अवस्था में होने वाले प्रत्येक शारीरिक, मानसिक, हार्मोनल, समाजिक, व्यक्तिगत, मनोवैज्ञानिक, भावनाओं आदि में होने वाले बदलाओं को समझें व समझदारी व धैर्य के साथ उसका निवारण करें।
कार्यशाला के पहले दिन उन्होंने विभिन्न स्लाईड्स के माध्यम से किशोरवस्था से जुडीे विभिन्न समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की तथा प्रतिभागी अध्यापक अध्यापिकाओं से भी इस आयु के विद्यार्थियों के साथ होने वाली समस्याओं तथा समाधान के विभिन्न पहलुओं पर उनके विचार जानें।
श्रीमती श्रीनिवासन ने किशोरावस्था के बच्चों में तनाव, सहपाठियों के व्यवहार अथवा दवाब, माता पिता, सामाजिक परिवेश से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कि तथा बताया कि इस अवस्था में शारीरिक एवं मानसिक बदलाव बेहद तेजी से होते हैं। जिससे बच्चा विभिन्न भ्रांतियों का शिकार हो जाता तथा कई बार मानसिक अवसाद भी उन्हें घेर लेते हैं।
डीपीएस रानीपुर के प्रधानाचार्य डॉ अनुपम जग्गा ने सीबीएसई दिल्ली एवं श्रीमती पदमा श्रीनिवासन को इस कार्यशाला के आयोजन के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि आज के किशोर कल का भविष्य है तथा भविष्य की नींव जितनी मजबूत होगी भविष्य उतना शानदार होगा अतः किशारावस्था शिक्षण स्कूल स्तर पर अतिमहत्त्वपूर्ण है। किशोर बालक एवं बालिकाओं की समस्याओं से सम्बंधित प्रत्येक जानकारी एवं उसका समाधान का ज्ञान प्रत्येक शिक्षक को अवश्य होना चाहिए। इस कार्यक्रम को सराहा गया।