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संसदीय कार्य मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल के त्यागपत्र देने के बाद अब उत्तराखंड सरकार में संसदीय कार्य, वित्त आदि सहित अनेक विभागों के लिए चार मंत्री के पद खाली है। अब ऐसे में सवाल उठता है क्या ऐसे में संसदीय कार्य के ज्ञाता पांच बार के विधायक मुन्ना सिंह चौहान को संसदीय कार्य मंत्री या मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा?
विधानसभा के बजट सत्र के दौरान एक टिप्पणी के कारण प्रदेश भर में फैले आक्रोश के कारण उत्तराखंड सरकार के संसदीय कार्य एवं वित्त मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को अपना त्यागपत्र सौंप दिया है। अब भविष्य में उत्तराखंड में संसदीय कार्य मंत्री कौन होगा जो मुख्यमंत्री के सवालों के उत्तर और सरकार के सकारात्मक पक्ष को रखने के लिए महारथ हासिल हो ऐसे व्यक्ति को ही संसदीय कार्य मंत्री बनाया जाता है।
उत्तराखंड भाजपा सरकार के विधायकों पर यदि गौर की जाए तो सदन के अंदर नियम, कानून, तर्क वितर्क और मर्यादाओं के आधार पर अपनी बात को प्रामाणिकता के साथ रखने वालों में विधायक मुन्ना सिंह चौहान का नाम सर्वोपरि आता है, उन्हें न केवल उत्तराखंड की विधानसभा बल्कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा में भी अपनी बात तर्कों के साथ रखने को लेकर उनका नाम समय-समय पर लिया जाता है।
इतना ही नहीं उत्तराखंड राज्य बनने के बाद विधायकों का जो प्रबोधन प्रशिक्षण कार्यक्रम होता है उसमें भी प्रशिक्षु विधायकों को शिक्षक के भूमिका में मुन्ना चौहान ने समय-समय पर अपना योगदान दिया है, ऐसे समय में जब सरकार के पास संसदीय कार्य मंत्री के लिए कोई तज्ञ और अनुभव व्यक्ति की तलाश है तब मुन्ना सिंह चौहान का नाम कहीं ना कहीं प्रदेश के हर व्यक्ति के जुबान पर है कि यह संसदीय कार्य मंत्री के रूप में सदन को सुचारू रूप से संचालित कर सकते हैं।
भारतीय जनता पार्टी के सामने वर्ष 2027 के विधानसभा की चुनौती है। प्रदेश में अनेक ऐसे विधायक है जिनका लंबा राजनीतिक जीवन है। 2027 को सफल बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी को उन वरिष्ठ विधायकों के अनुभव का लाभ लेकर मंत्री बनाया जाना चाहिए जो कार्यकर्ताओं और संगठन और विचारधारा को महत्व देते हैं।
इस सब के बावजूद भारतीय जनता पार्टी संगठन के अंदर मुन्ना सिंह चौहान की पकड़ तथा संगठनात्मक विचारधारा को उन्होंने कितना आत्मसात किया, अतीत के कार्यकाल में उनकी क्या परफॉर्मेंस रही है उस आधार पर भी सरकार में मंत्री पद का निर्धारण होगा। इसके बावजूद जातीय और क्षेत्रीय समीकरण का भी ध्यान रखा जाएगा। ऐसे में यह जरूर है कि तीन माह के पश्चात जब उत्तराखंड विधानसभा का सत्र प्रारंभ होगा तब संसदीय कार्य मंत्री के रूप में कौन होगा?