DPS RANIPUR डीपीएस में अदभुत कार्यशाला: भारत के भविष्य को संवारने वाले शिक्षकों ने किया चिंतन, मनन




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न्यूज127
डीपीएस रानीपुर में विभिन्न जनपदों के विद्धान प्रधानाचार्य और शिक्षकों ने बच्चों के सर्वागीण विकास और उनके मानसिक स्वास्थ्य को उत्कृष्ट बनाने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। ​उपस्थित शिक्षकों ने अपने शैक्षणिक ज्ञान के अनुभव का मंथन किया। शिक्षकों के अपने नैतिक दायित्वों को चिंतन किया। डीपीएस के प्रधानाचार्य डॉ अनुपम जग्गा ने अदभुत कार्यशाला में उपस्थितजनों का उत्साहवर्धन किया। सभी शिक्षकों को अपने उत्तरदायित्व को बोध कराया।


डीपीएस रानीपुर के सभागार में सीबीएसई सीओई दे
हरादून के तत्वावधान में ‘मानसिक स्वाथ्य सम्वर्धन एवं कल्याण’ विषय पर एक दिवसीय क्षमता निर्माण कार्यशाला में हरिद्वार, ऋषिकेश, रूड़की, बिजनौर के सीबीएसई स्कूलों से लगभग 50 शिक्षकों एवं प्रधानाचार्यो ने भाग लिया। विषय विशेषज्ञों के रूप में डॉ वाग्मिता त्यागी तथा श्रीमती सरबजीत सिंह उपस्थित रहीं। प्रधानाचार्य डॉ अनुपम जग्गा तथा अतिथियों ने दीपक प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।
कार्यशाला के प्रथम सत्र के आरम्भ में भारत पाक युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए भारत के शहीदों को दो मिनट मौन रख श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।


कार्यशाला में मुख्यरूप से कक्षा में बच्चों को मनोवैज्ञानिक रूप से सुदृढ़ बनाने एवं मानसिक सम्वर्धन प्रदान करने हेतु किए जाने वाले प्रयासों से अवगत कराया गया।
डॉ वाग्मिता त्यागी ने कहा कि प्रत्येक बच्चा अपने माता-पिता का सपना होता है और इसी आशा से अभिभावक अपने बच्चे को शिक्षक को सौंपता है कि वे उन सपनों को साकार करने में उसका सहयोग करेंगे। अतः यह हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है कि बाल्यावस्था से ही बच्चें की मनोदशा उसके क्रियाकलापों पर नजर रखते हुए उसका मार्गदर्शन करें।


वही श्रीमती सरबजीत सिंह बताया कि आज की जीवन शैली एवं बदलते परिवेश में बच्चों में विभिन्न प्रकार के तनाव व अवसाद देखे जा रहे हैं। अतः अभिभावकों के साथ शिक्षकों को भी इस विषय में स्वयं को जागरूक रखना आवश्यक हो जाता है। इन्ही तथ्यों पर प्रकाश डालते हुए बच्चों में होने वाले तनाव के मुख्य कारणों एवं उनके समाधान पर विस्तृत चर्चा की गयी। उन्होंने बताया कि सक्रिय श्रवण, आत्म अभिव्यक्ति को बढ़ावा देना, असमान्य परिवर्तनों की निगरानी करना, भावनाओं को समझने और सक्रिय सहभागिता के गुणों के विकास द्वारा तनावग्रस्त छात्रों को सकारात्मक दिशा दी जा सकती है।

दोनो विशेषज्ञों ने मॉडल एवं प्रायोगिक गतिविधियों द्वारा तनाव से निपटनें तथा संभावित कारणों और समाधानों का पता लगाने की जानकारी दी।
प्रधानाचार्य डॉ अनुपम जग्गा ने सभी प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि हम सभी शिक्षक बच्चों के अभिभावकों के समान हैं तथा कुछ मामलों में हमारी भूमिका अभिभावकों से भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है।

बच्चों में होने वाले किसी भी असमान्य परिवर्तन को नजरअंदाज करना गम्भीर हो सकता है। अतः प्रत्येक बच्चे पर व्यक्तिगत ध्यान देते हुए उन्हें शारीरिक एवं मानसिक रूप से सुखद एवं सुरक्षित वातावरण प्रदान करना हम सब की जिम्मेदारी है। उन्होंने विषय विशेषज्ञों एवं सीबीएसई सीओई देहरादून का इस ज्ञानवर्धक कार्यशाला के आयोजन हेतु आभार ज्ञापित किया।