सूचना आयुक्त योगेश भटट ने नगर निगम के वित्त अधिकारी पर ठोंका दस हजार का जुर्माना





नवीन चौहान
राज्य सूचना आयुक्त योगेश भटट सूचना के अधिकार अधिनियम को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए पीड़ित अपीलार्थियों को न्याय दिलाने की कवायद में जुटे है। राज्य सूचना आयोग की अपील में पहुंचने वाली तमाम विभागीय शिकायतों का गंभीरता से निस्तारण कर रहे है। इसी के साथ सूचना देने में हीलाहवाली करने वाले संबंधित विभागीय अधिकारियों पर जुर्माने की कार्रवाई कर रहे है। ऐसे ही एक देहरादून नगर निगम के प्रकरण में राज्य सूचना आयुक्त योगेश भटट ने कड़ा रूख अपनाते हुए नगर निगम के वरिष्ठ वित्त अधिकारी पर दस हजार के जुर्माने की कार्रवाई की है।http://Information Commissioner Yogesh Bhatt imposed a fine of ten thousand rupees on the Finance Officer of the Municipal Corporation.
विदित हो कि नगर निगम देहरादून में सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत विभिन्न प्रकरणों में सूचना न दिए जाने, लोक सूचना अधिकारियों पर अधिनियम की धारा 20 के अंतर्गत लगाए गए जुर्माने की सूचना न दिए जाने पर सूचना आयोग ने सख्ती बरती। अधिनियम के प्रभावी होने से आज तक कुल कितने अपीलों पर जुर्माने की कार्यवाही की गई तथा कितनी जुर्माने की राशि वसूली गई, नगर निगम इसकी सूचना नहीं दे पाया। राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए नगर निगम के वरिष्ठ वित्त अधिकारी पर 10,000/- रूपये का जुर्माना लगाते हुए लोक सूचना अधिकारी को आयोग के निर्णय की पृथक पंजिका तैयार कर उसमें आयोग के निर्णय पर की गई कार्यवाही को अपडेट करने के निर्देश दिए गए हैं।

देहरादून के चमन विहार कॉलोनी निवासी सुधीर गोयल ने नगर निगम देहरादून के लोक सूचना अधिकारी से सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत राज्य सूचना आयोग द्वारा लोक सूचना अधिकारियों पर जुर्माने की सूचना मांगी गई थी। लेकिन नगर निगम ने सूचना नही दी। जिसके बाद पूरा प्रकरण राज्य सूचना आयोग के समक्ष पहुंच गया। आयोग में खुलासा हुआ कि आयोग ने किन-किन अपीलों में लोक सूचना अधिकारियों पर जुर्माना या अन्य कार्यवाही के निर्देश दिए गए। इसकी जानकारी नगर निगम के पास नहीं है। राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने इस पर आपत्ति जताते हुए राज्य सूचना आयोग से निगम को सूचना अधिकार अधिनियम के अंतर्गत धारा 20 (1) एवं 20(2) के अंतर्गत लोक सूचना अधिकारी, नगर निगम देहरादून के विरुद्ध कार्यवाही संबंधी निर्णयों का विवरण नगर निगम को उपलब्ध कराया गया। यह भी निर्देशित किया गया कि इन पर की गई कार्यवाही का अपडेट अपीलार्थी के साथ ही आयोग को उपलब्ध कराया जाए। दो अवसर दिए जाने के बाद भी नगर निगम वांछित विवरण प्रस्तुत नहीं कर पाया।
नगर निगम ने प्रस्तुत एवं अपीलार्थी को प्रेषित जानकारी मात्र आयोग द्वारा उपलब्ध जानकारी है। सुनवाई में दो बार अवसर दिए जाने के बाद भी नगर निगम यह जानकारी उपलब्ध नहीं करा पाया कि आयोग द्वारा अधिरोपित शास्ति राजकोष में जमा की गयी अथवा नहीं। अपीलार्थी को आयोग द्वारा उपलब्ध करायी गयी 24 अपील/शिकायतों की सूची के सापेक्ष अपीलार्थी को 18 की ही सूची इसलिए उपलब्ध करायी गयी क्योंकि अपीलार्थी के मूल अनुरोध पत्र की तिथि के अंतर्गत 18 अपील / शिकायतें ही आ रही थी।
नगर निगम देहरादून को आयोग द्वारा आतिथि तक शास्ति / क्षतिपूर्ति के आदेशों की जो सूची उपलब्ध कराई गयी वह 24 अपील / शिकायतों की थी। नगर निगम द्वारा उस सूची में से ही अपीलार्थी को 18 अपील/शिकायतों की सूची उपलब्ध कराई गयी। आश्चर्यजनक यह है कि 18 अपील /शिकायतों में मात्र 3 में आदेश के अनुसार शास्ति जमा कराई गयी। सूची में 7 अपील / शिकायतों के निर्णय पर माननीय उच्चतम न्यायालय में याचिका कर स्थगन प्राप्त किया गया तथा 8 अपीलों / शिकायतों पर कोई जानकारी नहीं है।
राज्य सूचना आयुक्त योगेश भटट ने उपरोक्त स्थिति को अत्यंत चिंताजनक माना। उन्होने अपने आदेश में कहा कि विभाग की स्थिति यह इंगित करती है कि सूचना अधिकार अधिनियम को लेकर नगर निगम देहरादून का तंत्र कतई संवेदनशील एवं गंभीर नहीं है। सूचना अधिकार अधिनियम के प्रति गैर जिम्मेदाराना रवैये का इससे बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है कि आयोग के निर्देशों पर अमल हुआ या नहीं इसकी जानकारी नगर निगम के लोक सूचना अधिकारी के पास उपलब्ध नहीं है। नगर निगम के अधिकारी यह अवगत नहीं कर पा रहे हैं कि आयोग ने अधिरोपित शास्ति की वसूली हुई है अथवा नहीं / वेतन से वसूली के स्पष्ट आदेश होने के उपरांत भी नगर निगम के लेखा/वित्त अनुभाग में इसकी जानकारी न होने का तात्पर्य यह है कि आयोग के आदेशों पर नगर निगम देहरादून में अमल नहीं किया गया।
प्रश्नगत अपील में एक वर्ष से भी अधिक समय के उपरांत अपीलार्थी को संतोषजनक सूचना प्राप्त नहीं हुई है। यह भी प्रकाश में आया है कि आयोग द्वारा विभिन्न अपीलों पर सूचना अधिकार अधिनियम का अनुपालन न किए जाने पर अधिरोपित की गयी शास्ति की या तो वसूली ही नहीं की गयी या इसका विवरण संरक्षित नहीं किया। लोक सूचना अधिकारी/उप नगर आयुक्त, श्री रोहिताश शर्मा एवं डीम्ड लोक सूचना अधिकारी / वरिष्ठ वित्त अधिकारी श्री भारत चंद्र मांग के अनुरूप पर्याप्त समय उपलब्ध कराए जाने पर भी वांछित सूचना उपलब्ध नहीं करा पाए। लेखा/वित्त अनुभाग के पास यह स्पष्ट सूचना न होना कि आयोग के निर्देशानुसार शास्ति की धनराशि संबंधित से वसूल की गयी अथवा नहीं, इस ओर इशारा करता है या तो नगर निगम देहरादून के
लेखा अनुभाग का (Data Managment) डाटा प्रबंधन सही नहीं है या लेखा ने आयोग के निर्णय का अनुपालन जरूरी ही नहीं। दोनों ही स्थितियां गंभीर हैं एवं इसमें सुधार आवश्यक है। लोक सूचना अधिकारी को निर्देशित किया जाता है कि आयोग की उन समस्त अपीलों/शिकायतों को पंजिका में दर्ज किया जाए जिससे आयोग द्वारा शास्ति / छतिपूर्ति संबंधित आदेश हुए। इन आदेशों के संबंध में पंजिका में अद्यतन स्थिति अनिवार्य रूप से दर्ज कराते हुए सूचना अधिकार अधिनियम संबंधी पटल पर संरक्षित किया जाए। पंजिका तैयार करते हुए उसे अद्यतन कर इस संबंध में एक माह में आयोग को सूचित किया जाना सुनिश्चित किया जाए।

आयोग द्वारा दिनांक 17.10.2023 को दिए गए कारण बताओ नोटिस के सापेक्ष डीम्ड लोक सूचना अधिकारी श्री भारत चन्द्रा द्वारा अपना कोई लिखित स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं किया गया। प्रश्नगत अपील में सुनवाई में उपस्थित डीम्ड लोक सूचना अधिकारी श्री भारत चन्द्रा द्वारा कोई संतोषजनक कथन भी प्रस्तुत नहीं किया गया। डीम्ड लोक सूचना अधिकारी श्री भारत चंद्रा पर सूचना अधिकार को गम्भीरता से न लेते हुए आयोग के निर्देश एवं लोक सूचना अधिकारी द्वारा सहयोग मांगे जाने पर भी अपीलार्थी को सूचना प्रदत्त नहीं किये जाने में विलम्ब की पुष्टि होती है अतः बिन्दु संख्या 1 की स्पष्ट सूचना प्रदत्त न करने के लिए कारण बताओ नोटिस की पुष्टि करते हुए अधिनियम की धारा-20(1) के अंतर्गत डीम्ड लोक सूचना अधिकारी श्री भरत चन्द्रा वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम देहरादून पर रूपये 10,000/- (दस हजार रूपये मात्र) की शास्ति अधिरोपित की जाती है। जिसे वह सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की नियमावली, 2013 के नियम-11 (क) व (ङ) के अनुसार आयोग के आदेश के 03 माह की अवधि समाप्त होने पर राजकोष में दो समान किश्तों में जमा करेंगे।



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