कुंभ पर्व 2021: मेलाधिकारी दीपक रावत के नाम जुड़ा कीर्तिमान, कोरोना काल में दिव्य और भव्य कुंभ




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नवीन चौहान
मेलाधिकारी दीपक रावत के नाम कुंभ पर्व के सफल आयोजन का एक कीर्तिमान जुड़ गया है। मेलाधिकारी के नेतृत्व में मेला प्रशासन की टीम ने कोरोना संक्रमण काल में कुंभ पर्व को दिव्यता और भव्यता प्रदान की। सभी अखाड़ों में साधु संतों की व्यवस्थाएं चाक चौबंद की और हरिद्वार में स्थायी और अस्थायी निर्माण को तय वक्त में पूरा कराया। शाही स्नान सकुशल संपन्न हुए और संतों में खुशी ही लहर है। लेकिन सबसे बड़ी बात कोरोना संक्रमण काल में इंसानों के जीवन को सुरक्षित बचाने में मेला प्रशासन कामयाब रहा। मेला प्रशासन की टीम ने तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए कुंभ पर्व को आ​योजित कर एक इतिहास रचा है।


उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार कुंभ पर्व 2021 को लेकर बेहतर तैयारियों का खाका तैयार किया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हरिद्वार कुंभ मेला क्षेत्र में कुंभ पर्व के आयोजन को लेकर सुनियोजित योजना बनाई। साधु संतों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था के दृष्टिगत व्यवस्थाएं जुटाई गई। कुंभ मेलाधिकारी के तौर पर आईएएस दीपक रावत और सुरक्षा के लिए आईपीएस संजय गुंज्याल को मेला आईजी की जिम्मेदारी सौंप दी गई। मेलाधिकारी दीपक रावत और मेलाआईजी संजय गुंज्याल ने सरकार के निर्देशों के अनुरूप कुंभ को दिव्यता और भव्यता प्रदान करने की दिशा में कार्य शुरू कर दिया। 23 मार्च 2020 को कोरोना संक्रमण ने भारत में दस्तक दी और कुंभ कार्य प्रभावित हो गए। समस्त देश में लॉकडाउन लगा दिया गया। हरिद्वार के कुंभ कार्यो में ब्रेक देना पड़ा। मेलाधिकारी दीपक रावत लॉकडाउन की स्थिति में सुरक्षित और भव्य कुंभ को लेकर योजना बनाते रहे। कुंभ पर्व की तैयारियां श्रद्धालुओं की भीड़ को देखकर की गई। गंगा के प्रति देशवासियों की आस्था को ध्यान में रखते हुए उनकी व्यवस्था की गई। इधर कोरोना संक्रमण अपने तेवर दिखलाने लगा। मेलाधिकारी दीपक रावत को दोहरी चुनौती मिली। कोरोना से मुकाबला करते हुए कुंभ का बेहतर आयोजन उनकी अग्निपरीक्षा बन गया। मेलाधिकारी दीपक रावत के निर्देशों पर उप मेलाधिकारी अंशुल सिंह, अपर मेलाधिकारी हरवीर सिंह, राम जी शरण, ललित नारायण मिश्र की टीम लगातार कुंभ पर्व के आयोजन की व्यवस्थाओं में जुटी रही। उप मेलाधिकारी अंशुल सिंह ने कुंभ पर्व के आयोजन में सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी साफ सफाई, शौचालय और पीने के पानी की व्यवस्थाओं को पूर्ण कराया। जबकि हरवीर सिंह ने सभी अखाड़ों से बेहतर समन्वय बनाकर उनकी तमाम समस्याओं का निस्तारण किया। रामजी शरण, ललित नारायण मिश्र कोविड अस्पताल, साधु संतों की छावनियों की व्यवस्थाओं में जुटे। दूसरी ओर कुंभ मेला आईजी संजय गुंज्याल कुंभ पुलिस को प्रशिक्षण देने और हरिद्वार की सुरक्षा व्यवस्था के दृष्टिगत तैयारियों में जुटे। भीड़ प्रबंधन के गुर पुलिसकर्मियों को देते रहे।
कुंभ के शाही स्नान की तिथियां नजदीक आई गई तो प्रदेश सरकार में राजनैतिक अस्थिरता के चलते नेतृत्व परिवर्तन हुआ। नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की ताजपोशी हुई तो कुंभ को लेकर नया संदेश भी मिला। देशभर के श्रद्धालुओं को हरकी पैड़ी पर मां गंगा के स्नान के लिए आमंत्रित कर लिया गया। मेला प्रशासन और जिला प्रशासन सकते में आ गया। कुंभ के शाही स्नान नजदीक और कोरोना संक्रमण का डंक डसने के लिए तैयार था। हाईकोर्ट ने सरकार को चेताया और कोरोना संक्रमण से सभी को सुरक्षित बचाना जरूरी बताया गया। जिसके बाद आरटीपीसीआर जांच के लिए वृहद योजना बनाई। हरिद्वार की सभी सीमाओं पर जांच केंद्र गठित किए गए।
जिलाधिकारी सी रविशंकर की प्रशासनिक टीम मेला प्रशासन के साथ कदमताल करने को मुस्तैद रही। एसडीएम गोपाल सिंह चौहान, एसडीएम लक्सर शैलेंद्र सिंह नेगी,एसडीएम भगवानपुर स्मृता परमार, ज्वाइंट मजिस्ट्रेट नमामि बंसल, हरिद्वार तहसीलदार आशीष घिल्डियाल, नगर निगम कमिश्नर जय भारत सिंह सहित तमाम विभाग 24 घंटे जिला प्रशासन के कार्यो के साथ—साथ मेला प्रशासन के साथ जुटे रहे।


कुंभ पर्व में वीवीआईपी के आने का सिलसिला शुरू हो गया। वीवीआईपी को सम्मान देना और कुंभ के स्नान पर्व की तैयारियों को अंतिम रूप देने की कवायद शुरू हो गई। मेलाधिकारी दीपक रावत कुंभ पर्व का संदेश संपूर्ण विश्व में देने के लिए तैयार थे। उनके साथ प्रशासन की पूरी टीम पीछे खड़ी थी। जनता की सुरक्षा सर्वोपरि थी। संतों के शाही स्नान महत्वपूर्ण थे। आखिरकार दीपक रावत की प्रशासनिक कार्यकुशलता और नेतृत्व करने की क्षमता ने कुंभ पर्व के आयोजन को निविध्न संपन्न कराने में सफलता पाई। हालांकि कोरोना संक्रमण काल के दौरान मेला प्रशासन ने हरिद्वार में लाखों के श्रद्धालुओं के आगमन को लेकर पूरी योजना बनाई थी। श्रद्धालुओं के ठहरने से लेकर भोजन और आवास तक की समुचित व्यवस्था थी। कोरोना काल में कुंभ को सीमित करना मेला प्रशासन की मजबूरी जरूर रहा। लेकिन मेला प्रशासन की इच्छा शक्ति दिव्य और भव्य कुंभ के आयोजन को लेकर प्रबल रही। मेलाधिकारी दीपक रावत और मेला प्रशासन की टीम के साथ जिलाधिकारी सी रविशंकर और उनकी प्रशासनिक टीम को इस सफल और सुरक्षित कुंभ के आयोजन का श्रेय मिलना चाहिए। इन सभी अफसरों, कर्मचारियों से लेकर सभी सफाई कर्मचारियों ने अपनी जिंदगी की रक्षा किए बिना धर्म के प्रतीक कुंभ पर्व के आयोजन को सफल बनाया। अब सबसे बड़ी जरूरत कोरोना संक्रमण से सुरक्षित रहने की है। तो मास्क और दो गज की दूरी भी जरूरी है।



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