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हरिद्वार के वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भदोरिया, कमल भदोरिया एडवोकेट और चेतन भदोरिया LLB अध्यनरत ने मुख्यमंत्री उत्तराखंड पुष्कर सिंह धामी और डीजीपी दीपम सेठ को प्रदेश के पुलिस कर्मियों के समर्थन में पत्र भेजा है।
इन अधिवक्ताओं ने उत्तराखंड पुलिस कर्मियों के लिए सुविधा की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में बताया है कि वर्तमान में हिंदुस्तान में पुलिस विभाग में काफी राज्य अत्यधिक सुविधा दे रहे हैं। तमिलनाडु जैसे राज्य में वहां के पुलिसकर्मियों को सप्ताह में एक दिन का अवकाश व जन्मदिन और शादी की सालगिरह पर विशेष रूप से पुलिसकर्मियों को अवकाश दिए जाने की घोषणा की गई है।
राजस्थान सरकार ने राजस्थान पुलिस का 76वां स्थापना दिवस मनाया, जिसमें मुख्यमंत्री भजनलाल के द्वारा पुलिस कर्मियों के लिए वर्दी भत्ता को 7000 से बढ़कर ₹8000 व मैस भत्ता 2400 से बढ़ाकर 2700 रुपए और राज्य की रोडवेज की एक्सप्रेस बस, सेमी डीलक्स बसों में भी निशुल्क यात्रा की घोषणा की गई है। साथ ही राजस्थान में 200 करोड रुपए का पुलिस मॉडर्नाइजेशन एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड गठित करने की घोषणा की है। पुलिस विभाग एवं कारागार विभाग में भी कार्यरत लांगुरिया के मानदेय में भी 10% की वृद्धि की घोषणा की गई है।
अधिवक्ताओं ने अपने पत्र में यह भी जानकारी दी है कि उनके द्वारा पूर्व में उत्तराखंड राज्य में सप्ताह में एक दिन का अवकाश और जन्मदिन व शादी की सालगिरह के लिए अवकाश दिए जाने के लिए पूर्व अधिकारियों को प्रार्थना पत्र दिए गए थे, जिसमें शासन को प्रस्ताव दिए जाने की जानकारी मिलने के बावजूद आज तक कोई भी समुचित कार्रवाई नहीं हुई। उसके अतिरिक्त कारागार विभाग में बंदी रक्षक की ड्यूटी हर 8 घंटे के पश्चात 4 घंटे की ड्यूटी लिया जाना दुखदाई बताते हुए कहा है कि बंदी रक्षक की पत्नी और बच्चे भी ड्यूटी जाने के दौरान और ड्यूटी से आने के पश्चात कर्मी के साथ लगभग 1 घंटे तक व्यस्त रहते हैं। जिस कारण बंदी रक्षक अपनी नींद पूरी नहीं कर पाते, यह संविधान की धारा 21 का उल्लंघन पत्र में बताया गया है।
मुख्यमंत्री और डीजीपी से मांग करते हुए विशेष रूप से ध्यान देते हुए उत्तराखंड राज्य के पुलिस कर्मियों को हिंदुस्तान के अन्य राज्यों की तरह समस्त सुविधाएं कम से कम समानता के आधार पर तो ही दी जानी चाहिए यह जानकारी देते हुए राज्य के पुलिस कर्मियों को सुविधा की मांग की है।