विदेशी श्रद्धालुओं को कराया अपनी भारतीय संस्कृति से परिचित, स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज




सोनी चौहान
परमार्थ निकेतन में भारत सहित विश्व के अनेक देशों से आये श्रद्धालुओं संग भाईदूज का पर्व मनाया। विश्व के अनेक देशों ब्राजील, अमेरिका, जर्मनी, लन्दन, रूस कनाण, अफ्रीका आदि देशों से आयी बहनों और भाईयों ने परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमार भाईयों को तिलक लगाकर ईश्वर से उनके खुशहाली की कामना की। भाईदूज का पर्व भाई-बहन के प्रति स्नेह की अभिव्यक्ति का पर्व है इसे यम द्वितीया या भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है।


वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज को तिलक कर आशीर्वाद लिया और फिर भाईदूज के कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। सभी ऋषिकुमारों को लड्डू खिलाकर रिश्तों की मिठास का महत्व समझाया।
भाईदूज के पावन अवसर पर जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती ने आर्गेनिक इण्डिया के प्रमुख भरत मित्रा को तिलक लगाकर उनका अभिनन्दन किया।


स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने भाईदूज पर्व के बारे में बताते हुये कहा कि कार्तिक शुल्क द्वितीया को यमुना जी ने भगवान यमराज को तिलक लगाकर अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था। उस दिन से यह उत्सव मनाया जाता है। पुराण में इसका उल्लेख मिलता है। भाईदूज, भाई-बहन के पवित्र प्रेम, स्नेह, और समर्पण का पर्व है। इस पर्व पर बहनें अपने भाईयों को तिलक लगाकर उनकी खुशहाली की कामना करती है। भाई आपनी बहनों को उनकी रक्षा का आश्वासन देते है। वास्तव में अटूट रिश्ता है यह और अद्भुत संदेश देता है यह पर्व।
स्वामी ने कहा कि हमारे पर्व हमें आपसी प्रेम और समर्पण का अद्भुत संदेश देते है। इसी तरह का प्रेम और समर्पण अपनी प्रकृति और पर्यावरण के साथ हो तो हम उन्हें प्रदूषण से मुक्त रख सकते है। उन्होने कहा कि पेड़-पौधे हमें जीवनदायिनी आक्सीजन प्रदान करते हैं, उनसे हमें प्रेम का रिश्ता बनायें रखना होगा तभी हम अपना और अपनी आने वाली पीढ़ियों का जीवन सुरक्षित रख सकते हैं।


स्वामी जी ने सभी श्रद्धालुओं को एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग न करने तथा पेड़ों के पहरेदार बनने का संकल्प कराया। स्वामी जी ने कहा कि पर्वों के माध्यम से हम अपने संस्कारों और संस्कृति से जुड़े रहते है। भाईदूज, भाई-बहन के रिश्तें में समर्पण के साथ नव ऊर्जा का संचार कराता है।


भाईदूज के कार्यक्रम के अवसर पर परमार्थ निकेतन में उत्सव का वातावरण था कई विदेशी श्रद्धालुओं ने भाईदूज पर्व को पहली बार मनाया है। स्वामी जी महाराज से इस पर्व के विषय में जानकर अति प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि भारतीय संस्कृति अद्भुत है।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *