न्यूज 127.
नगर निकाय चुनाव के मतदान की प्रक्रिया गुरूवार शाम को समाप्त हो गई। अब प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला मतपेटी में बंद हो गया है। भाजपा मेयर प्रत्याशी को जिताने की रणनीति शहर विधायक मदन कौशिक ने तय की थी, वह भाजपा प्रत्याशी किरण जैसल के सारथी बने हुए थे। मतदान के बाद जो रूझान सामने आ रहे हैं उससे भाजपा खेमे में अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। अब देखना यही है कि मतदाता भाजपा की किरण जैसल को अपना मेयर चुनती है या फिर शहर विधायक मदन कौशिक की रणनीति नाकाम होगी।
यह चुनाव शहर विधायक मदन कौशिक की प्रतिष्ठा का भी सवाल बना हुआ है। इस पहले हुए नगर निगम चुनाव में उन्होंने अन्नु कक्कड़ को चुनाव लड़वाया था लेकिन वो चुनाव हार गई थी। इस बार शहर में मेडिकल कॉलेज को निजी हाथों में देने और कॉरिडोर का मुददा कांग्रेस ने उठाया था। इन मुददों से भाजपा का भी एक बड़ा वोट बैंक नाराज चल रहा था। हालांकि पार्टी ने नाराज वोटरों को साधने का काम किया। अब देखना यही है कि क्या नाराज वोटरों ने भाजपा प्रत्याशी को अपना वोट दिया या फिर उनका वोट डायवर्ट हो गया। ज्वालापुर में जिस तरह से कांग्रेस के पक्ष में चुनाव होता दिखायी दिया उससे जरूर भाजपा भी मंथन करने पर मजबूर हो रही है। हालांकि राजनीति के विशेषज्ञ कह रहे हैं कि अंतिम समय में भाजपा जीत जाएगी, हार जीत का अंतर काफी कम होगा। वहीं कांग्रेसियों का दावा है कि इस बार फिर से कांग्रेस का मेयर नगर निगम की कमान संभालेगा। भाजपा को वार्डों में भी नुकसान होता दिख रहा है। भाजपा के हाथ से इस बार 60 में से कई वार्ड फिसलते दिख रहे हैं। टिकट न मिलने से बागी होकर निर्दलीय लड़ने वालों ने भाजपा का गणित बिगाड़ दिया है।
‘मदन’ को मिलेगी ‘मात’ या फिर भाजपा को मिलेगी उम्मीदों की ‘किरण’


