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हरिद्वार से लेकर ऋषिकेश तक भाजपा की गुटबाजी साफ नजर आ रही है। जिसके चलते निकाय चुनाव में सीटों के आरक्षण को लेकर घमासान मचा हुआ है। हालांकि भाजपा के कई दावेदारों के अरमानों पर पानी फिर गया है। पिछले कई सालों से राजनैतिक क्षेत्र में सक्रिय नेताओं ने मेयर बनने के लिए पैंसों को पानी की तरह बहाया। लेकिन अब सभी नेता दबी जुबां से ही सही लेकिन सियासी गुटबाजी पर बोल रहे है।
हरिद्वार मेयर की सीट ओबीसी महिला होने की अधिसूचना जारी होते ही सियासी मैदान में सन्नाटा पसर गया। सभी राजनैतिक दलों के दावेदारों के मंसूबों पर पानी फिर गया। नेताओं ने अपने राजनैतिक भविष्य को लेकर चिंता जाहिर की। पांच साल का लंबा इंतजार करना भारी पड़ता दिखाई देने लगा। जिसके बाद आरक्षण पर घमासान शुरू हो गया। पार्टी की आंतरिक गुटबाजी की चर्चाएं आम हो गई।
आरक्षण की स्थिति ने ऋषिकेश की निवर्तमान मेयर अनीता ममगई के राजनैतिक कैरियर पर ब्रेक लगा दिया है। सरल व्यक्तित्व की धनी भाजपा नेत्री अनीता ममगई ऋषिकेश से मेयर पद की सबसे मजबूत और प्रबल दावेदार थी। भाजपाई सूत्रों की माने तो अनीता ममगई और केबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल के बीच छत्तीस का आंकड़ा है। प्रेमचंद्र ऋषिकेश के विधायक भी है। ऐसे में अनीता ममगई का नाम विधायक की दावेदारी के लिए भी मजबूत माना जाता रहा है। अब ऋषिकेश में एससी महिला सीट होने से अनीता ममगई की राजनीति पर अल्प विराम लगना तय है। उनका राजनैतिक कैरियर भविष्य के गर्त में है।
हरिद्वार मेयर की बात करें तो निर्वतमान मेयर मनोज गर्ग प्रबल दावेदारों में बड़ा नाम था। उनका नगर विधायक मदन कौशिक से छत्तीस का आंकड़ा जग जाहिर है। पिछली बार के चुनाव में भाजपा नेत्री अन्नु कक्कड़ को प्रत्याशी बनाया गया तो वह कांग्रेस की अनीता शर्मा से चुनाव हार गई। लेकिन बीते पांच सालों में मदन कौशिक और मनोज गर्ग के बीच दूरियां में कमी नहीं हुई। भाजपा से नया चेहरा डॉ विशाल गर्ग समाजसेवी की छवि से बाहर निकलकर पूरी तरह से राजनीति में सक्रिय हो गए। भाजपा से मेयर की दावेदारी में उन्होंने जनसंपर्क अभियान जारी रखा। जनता के सुख दुख में सबसे पहले पहुंचने के कारण उनको मेयर का मजबूत दावेदार माना जाने लगा।
वही भाजपा के पूर्व विधायक संजय गुप्ता का लक्सर विधानसभा छोड़ने के बाद हरिद्वार में बढ़ता जनसंपर्क अभियान भी उनको मेयर के प्रबल दावेदारों में शामिल करता रहा। कुछ महीनों से ललित नैययर का नाम तेजी से उठा और अधिसूचना के साथ ही पानी के बुलबुले की तरह शांत हो गया। यूं तो यह सूची बहुत बड़ी है। भाजपा नेता हरजीत सिंह का नाम भी इस सूची का ही हिस्सा है। जिन्होंने बड़े शीर्ष नेतृत्व की आशीर्वाद परिक्रमा पूरी करने के बाद दावेदारी को मजबूती के साथ रखा। लेकिन अब क्या हो जब चिड़िया चुग गई खेत। हरिद्वार हो या ऋषिकेश सीटों पर हो गया आरक्षण। टूट गए मेयर बनने के सपने। दांव पर लगा राजनैतिक भविष्य।