नवीन चौहान, हरिद्वार। कलयुगी बेटे को संस्कारों का ज्ञान देने की कीमत पिता को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। बेटे को काम करने के लिये टोकना और जिम्मेदारी का एहसास कराने की पिता की चेतावनी ने बेटे को बागी बना दिया। बेटा पिता से इतना नाराज हुआ कि उसने गुस्से में आकर पिता की गोली मारकर हत्या कर दी। इस घटना की जानकारी जिस किसी को भी हुई वह आहत हो गया।
तहसील में राजस्वकर्मी के तौर पर कार्य करने के दौरान जयपाल बहुत ही व्यवहार कुशल रहा। इसी व्यवहार के चलते वह एसडीएम के पीआरओ का कार्यभार भी संभालने लगा था। जयपाल के चार संतान हुई। जिसमें दो बेटिया और दो बेटे शामिल हैं। जयपाल ने बेटियों की शादी कर दी थी और विशाल को परचून की दुकान खुलवा दी। जबकि सबसे छोटा बेटा पढ़ाई कर रहा है। जयपाल नौकरी से रिटायर्ड होने के बाद घर पर ही रहने लगा। जयपाल बेटे को जागरूक नागरिक के लिये उसको जिम्मेदारी का एहसास कराता रहता था। विशाल की शादी कर दी गई। लेकिन उसके निक्मेपन के कारण उसकी पत्नी भी नाराज होकर मायके चली गई। पिता जयपाल की एक ही तमन्ना थी कि विशाल काबिल बने और परिवार की जिम्मेदारी का पालन करें। इसी बात को लेकर जयपाल विशाल को टोकाटाकी करते थे। लेकिन विशाल ने पिता की भावनाओं को नहीं समझा और दिल में नफरत पैदा कर ली। पिता के प्रति इतना गुस्सा उसके दिल में भर गया कि उसने हत्या करने की ठान ली। रोज रोज की डांट से बचने के लिये विशाल ने पिता पर ही गोलियां चला दी। इस घटना के बाद जयपाल की मौत से उसका पूरा परिवार सदमे है। वही हरिद्वार में जिस किसी ने भी इस खबर को सुना वह सन्न रह गया। आखिरकार बेटा अपने पिता का कातिल कैसे बन गया।