एनजीटी के आदेश के बाद हरिद्वार के संतों में उबाल, देखे वीडियो




नवीन चौहान, हरिद्वार। एनजीटी के एक आदेश से हरिद्वार का संत समाज बेहद आहत है और आक्रोषित है। संतों का कहना है कि बाबा अमरनाथ की गुफा हिंदू धर्म का प्रमुख धाम है। इस धाम में मंत्रोच्चार और जयघोष न करना, घंटे घडियाल न बजाना और एक सीमा के बाद मोबाइल ले जाना एनजीटी ने प्रतिबंधित किया है। हरिद्वार के संतों ने एनजीटी के इस तुगलकी फरमान को मानने से साफ इंकार कर दिया है। संतों कहना है कि जब सड़कों पर अल्ला हू अकबर कहने से न्यायालय किसी को नहीं रोक सकता तो फिर बाबा वर्फानीधाम में हर-हर महादेव का शाश्वत जयघोष लगाने से कैसे रोक सकता है।


गुरूवार को जूना अखाड़ें के थाना पति महंत शिवम पुरी ने एनजीटी के आदेश पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि एनजीटी के इस तुगलकी फरमान को संत समाज कतई नहीं मानेगा। उन्होंने कहा कि अपने ही देश में और अपने ही मंदिरों में जाने और पूजा-अर्चना के लिए हमें किसी का आदेश मानने की जरूरत क्या है। कहा कि जब सड़कों पर अल्ला हू अकबर के नारे लगाए जाते हैं तो मंदिरों में मंत्रोच्चार पर पाबंदी क्यों। कहा कि इस फैसलें को संत समाज कतई नहीं मानेगा और इस फरमान के विरोध में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा। इस संबंध में बाबा बलराम दास हठयोगी ने कहा कि केन्द्र सरकार ने एनजीटी का गठन पर्यावरण संरक्षण के लिए किया था न कि लोगों की धार्मिक भवनाओं पर प्रतिबंध लगाने के लिए। बाबा हठयोगी ने कहा कि एनजीटी ऐसे आदेश पारित कर रहा है जैसे वह स्वंय को औरगंजेब, मोहम्मद तुगलक या नादिर शाह समझ रहा है। उन्होंने कहा कि यदि एनजीटी में हिम्मत है तो वह बकरा ईद पर बकरों की होने वाली बलि पर रोक का आदेश पारित करे। उन्होंने कहा कि एनजीटी के आदेश से हिंदुओं की भावनाएं आहत हुई हैं। धार्मिक भावनाओं की आजादी की मान्यता जब देश का संविधान देता है तो एनजीटी कैसे इस तरह का आदेश पारित कर सकती है।



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