उत्तराखंड सरकार से प्रदेश की इंडस्ट्रीज बचाने के लिये मांगी मदद




नवीन चौहान
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश की आठ एसोसिएशन ने वार्ता कर शासन से मांग की। कोरोना महामारी के चलते जहाँ पूरे देश की इंडस्ट्रियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है तो वहीं उत्तराखंड प्रदेश में आठ एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर एक दूसरे से विचार साझा किये और इस दौरान उत्तराखंड सरकार से इंडस्ट्रीज की मदद कर राहत देने की मांग भी की।
हालांकि उत्तराखंड प्रदेश में कुछ कंपनियों को नियम शर्तों के साथ चलाने के आदेश तो मिल गये हैं लेकिन सिडकुल एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना है इंडस्ट्री बड़े बुरे दौर से गुजर रही है और शासन की तरफ से कुछ गाइडलाइन के साथ कम्पनी को चलाने के आदेश तो मिल तो गये है लेकिन वो काफी नहीं है। कोविड 19 के कारण अभी सामान्य स्थिति होने में अभी काफी समय लगेगा और सरकार को इंडस्ट्रीज को बचाने के लिये बड़े कदम उठाने पड़ेंगे। इस दौरान सिडकुल एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी राज अरोड़ा के कहना है की पिछले एक महीने से हम लगातार शासन से मदद की गुहार लगा रहे है लेकिन हमारी समस्या की और कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसलिये आज सभी एसोसिएशन एक साथ मिलकर एक प्लेटफॉर्म में आई है और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वार्ता कर हमने स्पष्ट तौर पर अपनी बात उत्तराखंड सरकार के सामने रखी है अगर हमारी मांगें नहीं मानी गई तो हमें मजबूरन इंडस्ट्री में ताले लगाने पड़ेंगे। कम्पनी मालिकों का कहना है कोरोना महामारी के चलते पहले से ही इंडस्ट्रीज को तोड़ कर रख दिया है व्यापार पूरी तरह से ठप पड़ा है कंपनियों को चलाने के लिये लेबर की समस्या से बहुत ज्यादा दिक्कत हो रही है। उत्तराखंड पैकेजिंग के मालिक सुयश वालिया का कहना है उत्तराखंड प्रदेश को ऊर्जा प्रदेश भी कहा जाता है जब प्रदेश और दूसरे राज्यों को बिजली उप्लब्ध करवाता है तो राज्य सरकार को इंडस्ट्रीज को मदद के तौर पर विधुतीकरण में छूट देनी चाहिये जो कि अब तक नहीं दी गई है इसलिये वो सरकार से मांग करते है इस पर भी उन्हें राहत दी जाये, तो वहीं उधोगपति संदीप सिंगला का कहना है इंडस्ट्री इस दौरान बहुत बुरे समय से गुजर रही है एक तो कर्मचारियों को सेलरी देने में बहुत दिक्कतें आ रही है जब उत्पादन ही ठप है तो सेलरी कैसे और कहा से दें इस पर सरकार को कोई रास्ता निकालना होगा बैंको द्वारा भी हमे ब्याज में राहत दी जानी चाहिये जो कि अभी तक नहीं दी गई है।



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