प्रशासन ने किया विधायकों का सम्मान और मुस्लिम विधायकों ने धर्म का रखा मान




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न्यूज 127.
हरिद्वार हरकी पैडी पर आयोजित दीपोत्सव कार्यक्रम में जिला प्रशासन ने निमंत्रण पत्र में मुस्लिम विधायकों को आमंत्रित किया, तो मुस्लिम विधायकों ने धर्मनगरी हरिद्वार के धर्म का पालन करते हुए कार्यक्रम से खुद को दूर रखा। विधायकों के इस निर्णय से जिला प्रशासन को राहत की सांस मिली वहीं विधायकों का सम्मान भी बढ़ा है। निमंत्रण पत्र में मुस्लिम विधायकों को आमंत्रित करने को लेकर गंगा सभा ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा था कि हरकी पैडी पर गैर हिंदु धर्म का प्रवेश निषिद्ध है। यदि मुस्लिम विधायक यहां आए तो इससे गंगा सभा के बायलॉज का उल्लंघन होगा।
जिला प्रशासन ने श्री गंगा सभा की आपत्ति आने के बाद आश्वासन दिया था कि नियमों का पालन कराया जाएगा। ऐसे में कार्यक्रम में आमंत्रित लक्सर विधायक शहजाद, मंगलौर विधायक काजी निजामुद्दीन और कलियर विधायक फुरकान अहमद ने स्वयं ही इस कार्यक्रम में ना आकर श्री गंगा सभा के बायलॉज और धर्म का मान भी रखा। जिला प्रशासन ने कार्यक्रम में शामिल होने के लिए हरिद्वार जिले के सभी 11 विधायकों को निमंत्रित किया था। इन 11 विधायकों में से तीन विधायक गैर हिंदु समाज से आते हैं।
हरकी पैड़ी के लिए 1935 में बने म्युनिसिपल बाईलाज के अनुसार हिंदू तीर्थ हरकी पैड़ी परिक्षेत्र में गैर हिंदुओं का प्रवेश निषिद्ध किया गया है। निमंत्रण पत्र जारी होने के बाद हरकी पैड़ी की प्रबंधकारिणी गंगा सभा में इसको लेकर माहौल गर्म हो गया था। जिसके बाद उच्चाधिकारियों को हरकी पैड़ी के लिए बने नियमों की जानकारी दी गई थी। जिसके बाद प्रशासन ने गंगा सभा को हरकी पैड़ी के लिए बने सभी नियमों का सम्मान करने का भरोसा दिलाया था। गंगा सभा अध्यक्ष नितिन गौतम का कहना है कि हरकी पैड़ी की शुचिता पवित्रता के लिए वर्षों से नियम तय है जिसका पालन गंगा सभा करती और कराती रही है। नितिन गौतम ने कहा कि रजत जयंती कार्यक्रम को लेकर जिला प्रशासन ओर प्रदेश के सीएम पुष्कर सिंह धामी जी का आभार, कार्यक्रम में मान मर्यादा और व्यवस्था बनी रही इसके लिए सभी का हृदय से आभार।

राज्यपाल की भी मालवीय द्वीप पर लगी थी कुर्सी
बतादें 2015 में तत्कालीन उत्तराखंड राज्यपाल व गंगा भक्त अजीज कुरैशी ने हरकी पैड़ी पर गंगा आरती में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की थी। तब भी गंगा सभा का यही नियम आड़े आ गया था। जिसके बाद रिजवी आरती में शामिल नहीं हो सके हालांकि उनके लिए मालवीय द्वीप पर कुर्सी लगवाई गई जहां से फिर उन्होंने आरती दर्शन किए।



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