नवीन चौहान.
एक देश, एक चुनाव की दिशा में केंद्र सरकार ने पहला कदम उठा दिया है। इस महत्वपूर्ण कदम की संभावनाओं पर विचार करने के लिए सरकार ने एक कमेटी का गठन करते हुए उसका अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बनाया है। जल्द ही कमेटी के सदस्यों पर नोटिफिकेशन जारी किये जाने की बात सामने आ रही है।
वहीं दूसरी ओर विपक्षी पार्टियों ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने सवाल किया है कि अभी इसकी क्या जरूरत है? पहले महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों का निवारण होना चाहिए। वहीं भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी आज पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। दोनों की मुलाकात का वीडियो भी सामने आया है।
जानकारों का मानना है कि यदि चुनाव की यह व्यवस्था लागू हो जाती है तो हो सकता है कि इसका नुकसान क्षेत्रीय दलों को मिले। जानकार कहते हैं कि राष्ट्रीय मुद्दों पर वोटर की सोच वोट डालते समय अलग होती है। ऐसे में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने से क्षेत्रीय दलों को नुकसान हो सकता है।
जानकार बताते हैं एक देश एक चुनाव की बात सरकार इसलिए कर रही है क्योंकि अलग अलग चुनाव कराने से पैसा अधिक खर्च होता है। बार बार व्यवस्था बनाने में सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल होता है, धन भी अलग खर्च होता है। पुलिस फोर्स की व्यवस्था करनी पड़ती है। ऐसे में एक साथ चुनाव होेने से न केवल सरकार का पैसा बचेगा बल्कि चुनाव के दौरान होने वाली परेशानियों से भी बचा जा सकेगा।