नेपाल के लिए निकली कलश यात्रा निरंजनी अखाड़ा में चरण पादुका स्थल पर पहुंची, संतों ने किया स्वागत




नवीन चौहान.
हरिद्वार। गंगोत्री धाम से पशुपतिनाथ नेपाल के लिए निकली कलश यात्रा हरिद्वार में निरंजनी अखाड़ा स्थित चरण पादुका स्थल पर पहुँची।

कलश यात्रा का स्वागत जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम, निरजंन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद जी, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविन्द्र पुरी, श्री महंत राम रतन गिरी, श्री महंत दिनेश गिरी, श्री महंत केशव पुरी एवं उपस्थित सन्तों एवं श्रद्धालुओं के द्वारा किया गया।

गंगोत्री धाम के रावल शिव प्रकाश सेमवाल ने बताया कि एक दिन विश्राम के पश्चात कलश यात्रा कल नेपाल के लिए रवाना हो जायेगी। इस यात्रा के तहत गंगोत्री धाम से लाए गए पवित्र जल को पशुपतिनाथ नेपाल में भगवान भोलेनाथ को अर्पित किया जाएगा।

नेपाल के लिए कलश यात्रा के हरिद्वार पहुंचने पर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रविन्द्र पुरी द्वारा पहले पवित्र अमृत कलश का पूजन किया गया। अनेक सामाजिक संस्थाओं से जुड़े नागरिकों ने अमृत कलश पर पुष्प अर्पित किए।

इस अवसर पर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम ने बताया कि भारत और नेपाल के बीच हमेशा से ही मित्रता का संबंध रहा है। यह कलश यात्रा विश्व के कल्याण के साथ-साथ भारत एवं नेपाल के मध्य मैत्री संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ करने के लिए परंपरागत रूप से निकाली जाती है।

शास्त्रों में वर्णित है की गंगाजल को शिवालय में अर्पित करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस अवसर पर निरंजनी पीठाधीश्वर आचार्य श्री स्वामी कैलाशानंद गिरी ने कहा कि प्रत्येक वर्ष गंगोत्री धाम से कलश यात्रा पशुपतिनाथ नेपाल के लिए रवाना होती है।

सौभाग्य से इस पवित्र यात्रा के पड़ाव से जुड़ने का सौभाग्य उनको भी प्राप्त हुआ है। गंगा को स्वच्छ व निर्मल बनाना आज की पहली महती आवश्यकता है। इस कलश यात्रा से मां गंगा को स्वच्छ व निर्मल बनाने का संदेश भी समाज को मिल रहा है।

इस अवसर पर अवसर पर श्री महंत रविन्द्र पुरी ने बताया की गंगा विश्व की प्रसिद्ध पवित्र नदी है और नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है। गंगोत्री धाम का जल वहां अर्पित करना हमारी सामाजिक व सांस्कृतिक धरोहरों का समन्वय है जो हमारी मनोकामना ओं को पूर्ण करने वाला पवित्र अवसर हैं।

श्री महंत रविन्द्र पुरी ने आगे कहा कि गंगा हमारी संस्कृति और सभ्यता की जननी है इसलिए इसे मां का पवित्रतम दर्जा प्राप्त है। गंगोत्री धाम मां गंगा का उद्गम स्थल है आज गंगोत्री से लाए गए कलश को स्पर्श करने मात्र से ही गंगोत्री धाम के दर्शन की अनुभूति प्राप्त हो रही है।

इस अवसर पर एसएमजेएन पीजी कालेज के प्राचार्य डॉ सुनील कुमार बत्रा, राकेश गोयल, संजय बत्रा, उज्जवल बत्रा, स्वामी आंनद गिरी, टीना, संजय चौहान, दिगम्बर राज गिरि, दिगम्बर धंनजय गिरि, स्वामी आलोक गिरि, आशीष झा, भोला शर्मा, विशाल गर्ग, सुषम लता बत्रा, उमा गुलाटी, डॉ साधना नंद आदि उपस्थित थे।



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