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सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी अगली पीढ़ी की कृषि बागवानी और पशुपालन सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए एकीकरण 2025 का शुभारंभ उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान राज मंत्री बलदेव सिंह औलख, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केके सिंह तथा भारतीय कृषि अनुसंधान चयन बोर्ड नई दिल्ली के सदस्य डॉक्टर मेजर सिंह ने वेटरनरी कॉलेज के सभागार में दीप प्रज्वलित कर संगोष्ठी का शुभारंभ किया।
मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कृषि कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार किसान की बेहतरीन के लिए कार्य कर रही है। किसानों को बीज यंत्रों एव खाद पर सब्सिडी दी जा रही है, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी हो सके। उन्होंने बताया कि किसान के लिए सोलर पंप पर सब्सिडी दी जा रही है, जिससे उनके बिजली का खर्च बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि अब खेती घाटे की नहीं रही है। आज के युवा नई-नई प्रौद्योगिकी और टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके स्मार्ट खेती कर रहे हैं और अपने उत्पादों का एक्सपोर्ट भी कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सदैव किसान हित के कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर प्रदेश में लागू करते हैं जिससे किसान की विभिन्न फसलों के उत्पादन को बढ़ाया जा सके। उन्होंने वैज्ञानिकों से आवाहन किया कि वह ऐसे बीजों का विकास करें जिससे जलवायु परिवर्तन के दौरान भी उत्पादन पर कोई विपरीत प्रभाव न पड़े और किस को उत्पादन अच्छा प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि कृषि विज्ञान नवाचार और युवा ऊर्जा को एक साथ लाया जाए। हमें अपने युवाओं को खेतों से जोड़ना है ताकि वह इस क्षेत्र को केवल परंपरा के रूप में ना देखें बल्कि एक करियर विकल्प के रूप में अपनाए। हमें खेती को एकीकरण दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना होगा तभी सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास को हम साकार कर सकते हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर केके सिंह ने कहा हमारे देश में खाद्य सुरक्षा एक चुनौती है। वैश्विक जनसंख्या का अनुमानित आंकड़ा 2050 तक लगभग 10 अब तक पहुंचने की संभावना है। जनसंख्या वृद्धि की समस्या के कारण कृषि योग्य भूमि कम होती जा रही है। अतः हमें कम क्षेत्रफल में बढ़ती जनसंख्या के दृष्टिगत रखते हुए अधिक खाद्यान्न उत्पादन, दुग्ध उत्पादन, फल उत्पादन एवं सब्जी उत्पादन करने की अत्यंत आवश्यकता है। हमें ऐसी तकनीक विकसित करनी होगी और अपनानी होगी जिससे कम क्षेत्रफल में गुणवत्ता युक्त अधिक उत्पादन लिया जा सके। कुलपति प्रोफेसर केके सिंह ने कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए और अधिक कार्य करना होगा। मार्केटिंग की समस्या, जलवायु परिवर्तन की समस्याएं, ग्रीन हाउस गैसों का बढ़ता दबाव आदि पर कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि हमें माइक्रो इरिगेशन खेती में मशीनीकरण की उपयोगिता, पोस्ट हार्वेस्ट, मैनेजमेंट वैल्यू एडिशन, फूड लॉस को बचाने के लिए और अधिक कार्य करना होगा।

उन्होंने कहा कि हमें इंटरक्रॉपिंग कृषि विविधीकरण पोषण युक्त प्रजातियों के विकास, बाढ़ तथा सूखा रोधी प्रजातियां के विकास के लिए और अधिक कार्य करने की आवश्यकता पर जोर देना होगा। उन्होंने हाइड्रोपोनिक्स तथा अरोफोनिक्स तकनीकी को और अधिक बढ़ाने की बात कही। कुलपति प्रोफेसर केके सिंह ने कहा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का खेती में भविष्य में समावेश होगा, जिससे स्मार्ट खेती को बढ़ावा मिलेगा। स्मार्ट खेती का डिजिटिलाइजेशन करके किसानों द्वारा लाभ उठाया जा सकेगा। उन्होंने आह्वान किया कि हम सभी लोगों को जल जंगल और जमीन को बचाने के लिए संकल्प लेना होगा तथा भविष्य को सुरक्षित करना होगा।
भारतीय कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल के सदस्य डॉ मेजर सिंह ने अपनी संबोधन में कहा कि नेक्स्ट जेनरेशन एग्रीकल्चर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बहुत बड़ा योगदान होगा। उन्होंने भविष्य में कृषि में आने वाली चुनौतियां से निपटने के लिए बायोटेक्नोलॉजी के योगदान को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि जिनोम एडिटिंग एवं जैव प्रौद्योगिकी की तकनीक के माध्यम से फसलों को सुधारने उनकी गुणवत्ता को बढ़ाने साथ ही उपज को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान होगा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को बचाना भी एक बहुत बड़ी चुनौती है। इसलिए हमें स्मार्ट एग्रीकल्चर, स्मार्ट हॉर्टिकल्चर और स्मार्ट डेरी को को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज के बच्चे कल के वैज्ञानिक बनेंगे इसलिए समय की मांग को ध्यान में रखकर शोध कार्य किए जाने चाहिए।
सोसाइटी फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चर वेटरनरी एंड इकोलॉजिकल साइंस जम्मू के प्रेसिडेंट डॉक्टर जेपी शर्मा ने समिति के बारे में जानकारी दी और कृषि अनुसंधान के विभिन्न आयामों से अवगत कराया एवं भविष्य में होने वाली शोध को बढ़ावा देने पर जोर दिया। कृषि विश्वविद्यालय के कुल सचिव प्रोफेसर रामजी सिंह ने टिकाऊ मॉडल की आवश्यकता वैज्ञानिक तकनीक मृदा संरक्षण तथा समन्वित कृषि एवं एकीकृत प्रणाली को अपनाने की बात कही। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में स्वागत भाषण अधिष्ठाता कृषि डॉक्टर विवेक धामा ने संचालन तथा धन्यवाद कार्यक्रम के संयोजक डॉ डीवी सिंह द्वारा किया गया। इस दौरान विभिन्न प्रदेशों से संगोष्ठी में भाग लेने आए 250 विज्ञान को छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। इस अवसर पर सांस्कृतिक संध्या एवं कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया।