12 साल में बाघ 264 और हाथी तीन साल में 187 बढ़े




प्रदेश में अब बाघ 442 और हाथियों की संख्या हो गई 2026
नवीन चौहान
राज्य में 2006 में बाघों की संख्या 178 थी, जो 2018 तक बढ़कर 442 हो गई है। हाथियों की संख्या 2017 तक 1839 थी, जो अब बढ़कर 2026 हो गई है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की ओर की गई समीक्षा में कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत ढेला ‘रेस्क्यू सेेंटर’ एवं पाखरो ‘टाइगर सफारी’ की स्थापना का कार्य प्रगति पर है, गर्जिया टूरिज्म जोन की स्थापना की जा रही है। धनगढ़ी म्यूजियम का उच्चीकरण किया जा रहा है। पिछले तीन सालों में प्रतिवर्ष औसतन 1500 हेक्टेयर क्षेत्र में वृक्षारोपण किया गया। प्रदेश में 14.77 प्रतिशत क्षेत्र संरक्षित है, जो राष्ट्रीय औसत से तीन गुना है। वर्षा जल संरक्षण की दिशा में 02 वर्षों में लगभग 68.37 करोड़ लीटर वर्षा जलसंचय की संरचनाओं का निर्माण किया गया। इस वर्ष 41.00 करोड़ लीटर जल संचय का लक्ष्य रखा गया है। जल स्रोतों को बढ़ाने के लिए काम जारी है।
बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री आवास में कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के साथ वन, सेवायोजन एवं कौशल विकास, श्रम तथा आयुष विभाग की समीक्षा की। वन विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि प्रदेश में के वन्यजीव संरक्षित क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बुकिंग के लिए सिंगल विंडो सिस्टम शुरू किया जाए। ऑनलाईन बुकिंग के लिए एप्प विकसित किया जाए। लकड़ी एवं आरबीएम के लिए लोगों को एप्लाई करने के बाद निश्चित समयावधि में अनुमति मिल जाए, इसके लिए लोगों को अनावश्यक परेशानी न हो। लोगों के हक-हकूकों का पूरा ध्यान रखा जाय। इसको सेवा के अधिकार के तहत सम्मिलित किया जाए। व्यावसाईयों के लिए जो रवन्ने जारी हो रहे हैं, उनकी चैक पोस्ट पर नियमित चैकिंग की जाए। चैक पोस्टों पर कैमरे की व्यवस्था एवं पूरी प्रक्रिया ऑनलाईन की जाए। वनाग्नि को रोकने के लिए समुचित प्रयासों की जरूरत बताई।
आयुष विभाग ने दो लाख काढ़ा किट की वितरित
आयुष विभाग की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने निर्देश दिए कि प्रयास किए जाए कि अधिकांश जगह पर लोगों को आयुष, होम्योपैथी एवं ऐलोपैथिक सुविधाएं मिल जाये। जिन जनपदों में आयुष विभाग का अपना भवन नहीं हैं, जिलाधिकारियों के माध्यम से लंबे समय से खाली सरकारी भवनों या स्कूलों में व्यवस्था की जाय। चरक डांडा में अन्तरराष्ट्रीय शोध संस्थान के लिए जल्द डीपीआर बनाई जाए।  आयुष मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि कोविड के दौरान आयुष विभाग द्वारा 02 लाख से अधिक काढ़ा के रूप में सुरक्षा किट वितरित की गई। आयुष विभाग द्वारा प्री कोविड और पोस्ट कोविड किट तैयार की गई है।
25 आईटीआई को किया जा रहा अपग्रेड
सेवायोजन एवं कौशल विकास की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि जिन 25 आईटीआई को अपग्रेड किया जा रहा है। उनमें प्रशिक्षण की बेहतर व्यवस्था के साथ ही प्रशिक्षण लेने वाले विद्यार्थियों के प्रतिभा प्रदर्शन एवं प्रोत्साहित करने के लिए प्रोडक्शन एवं मार्केटिंग की व्यवस्था भी की जाय। समय एवं परिस्थितियों के साथ आईटीआई के स्वरूप में बदलाव लाना होगा। स्किल एवं लाइवलीहुड सेंटरों की मजबूती की दिशा में कार्य किये जाय। प्रदेश के औद्योगिक संस्थानों में 70 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोजगार मिले। इसके लिए उद्योग विभाग की जिम्मेदारी तय की जाए।
10 कर्मचारियों से कम पर होगी पंजीकरण की बाध्यता
श्रम विभाग श्रम विभाग की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई कि वर्ष 2017 में उत्तराखण्ड दुकान और स्थापन अधिनियम में संशोधन किया गया जिसके अंतर्गत दस से कम कर्मकार नियोजित करने वाले दुकानों एवं स्थापनां को पंजीयन की आवश्यकता नहीं रह गई है। पंजीयन एक बार किया जायेगा। नवीनीकरण की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है। कारखाना अधिनियम, 1948 के अन्तर्गत महिला कर्मकारों को भी कारखानों में तीनों पालियों में कार्य करने की छूट दी गई है। कारखाना अधिनियम, 1948 के अन्तर्गत कारखानों के लाइसेंस का नवीनीकरण 10 वर्ष तक किये जाने की व्यवस्था की गई है, जिससे व्यापार में सुगमता आई है। वैश्विक महामारी कोविड-19 के दृष्टिगत राज्य में स्थापित समस्त कारखानों को 12-12 घण्टे की दो पालियों में कार्य करने की अनुमति दी गई जिसमें 4 घंटे ओवरटाईम के रखते हुए नियमानुसार भुगतान की व्यवस्था की गई।
इस अवसर पर पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एसएस नेगी, मुख्यमंत्री के तकनीकि सलाहकार डॉ. नरेन्द्र सिंह, प्रमुख सचिव आनन्द वर्द्धन, सचिव अमित नेगी, हरबंस सिंह चुघ, शैलेष बगोली, डॉ. रणजीत सिन्हा, प्रमुख वन संरक्षक रंजना काला, मुख्यमंत्री के विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते एवं संबंधित विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।



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