मलबे में दफन हो गए चाचा-चाची, पोकलैंड मशीन से ढूंढ रहा सूरज




योगेश शर्मा.
शुक्रवार को मालदेवता में आई आपदा में कई मकान जमींदोज हो गए थे। सरखेत गांव में भी सैलाब ने ऐसा कहर बरपाया कि वहां पर दो मकान पूरी तरह जमींदोज हो गए। इनमें एक मकान में दुबडा निवासी राजेंद्र सिंह राणा अपनी पत्नी अनीता देवी के साथ जन्माष्टमी का त्योहार मनाने अपने रिश्तेदारी में आए हुए थे। वह इस मलबे में दब गए।

शनिवार सुबह जब एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमें यहां पहुंची तो मलबे में दबे लोगों को खोजने का काम शुरू किया गया। राजेंद्र राणा व उनकी पत्नी सहित पांच लोगों के मलबे में दबे होने की सूचना थी, लेकिन बड़े-बड़े पत्थरों के मलबे के बीच उन्हें खोजना आसान नहीं था। जिला प्रशासन ने पोकलैंड मशीन का इंतजाम किया। पोकलैंड मशीन सड़क टूटने की वजह से लालपुल से आगे नहीं जा सके। जबकि जहां लोग मलबे में दबे थे वह करीब तीन किलोमीटर और आगे था।

ऐसे में एक ही रास्ता था कि पोकलैंड मशीन को नदी में उतार कर तेज बहाव के बीच घटनास्थल तक पहुंचाया जाए लेकिन इसके लिए कोई ऑपरेटर तैयार नहीं हुआ। इस बीच चाचा राजेंद्र सिंह राणा व चाची अनीता देवी के साथ घटित हादसे की खबर सुनकर उनका भतीजा सूरज चमोली से दून पहुंच चुका था सूरज राणा चमोली में एक कंपनी के लिए पोकलैंड मशीन चलाता है। उसे जब पता चला कि राहत व बचाव कार्य के लिए पोकलैंड मशीन का पहुंचना बहुत जरूरी है तो सूरज ने मशीन लेकर नदी के रास्ते जाने का फैसला किया।

सूरज ने तेज बहाव के विपरीत पोकलैंड मशीन को हिम्मत और बहादुरी दिखाते हुए सरखेत गांव तक न केवल पहुंचाया बल्कि खुद मशीन चलाकर मलबे में दबे लोगों की तलाश में जुट गया। सूरज के इस जज्बे को स्थानीय निवासी ही नहीं बल्कि एनडीआरएफ एसडीआरएफ सहित जिला प्रशासन भी सलाम कर रहा है।



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