नवीन चौहान.
डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल जगजीतपुर हरिद्वार में गौरैया संरक्षण के लिए अनूठी पहल की शुरूआत की गई। इसके लिए सभी शिक्षकों को शपथ दिलायी गई कि वह गौरैया संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास करेंगे और इस कार्य के लिए दूसरे को भी जागरूक करेंगे।
वर्ष 2022 जहाँ एक ओर रिकाॅर्ड तोड़ गर्मी की ओर इशारा कर रहा है, वहीं मई माह में ही केरल व आसाम जैसे राज्यों में बाढ़ की स्थिति पृथ्वी के बिगड़ते पर्यावरण को इंगित करती है। इसीलिए यह बहुत आवश्यक हो गया है कि हम पृथ्वी के बिगड़ते संतुलन के कारणों को जाने तथा उनके निवारण पर कार्य करें।
इसी कड़ी में मंगलवार को डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल, जगजीतपुर हरिद्वार में हमारे बचपन की मीठी यादों से जुड़ी छोटी सी चिड़िया ‘गौरैया’ को बचाने के लिए पिछले डेढ़ दशकों से निरंतर प्रयासरत संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डाॅ0 विनय कुमार सेठी व उनके सहयोगियों को विद्यालय में आमंत्रित किया गया। विद्यालय के कार्यवाहक प्रधानाचार्य मनोज कुमार कपिल ने अतिथियों का स्वागत किया।
आम धारणा है कि पर्यावरण में बढ़ता हुआ प्रदूषण पक्षियों के विलुप्त होने का कारण है, परन्तु डाॅ0 विनय सेठी ने अपनी भावुक प्रस्तुति द्वारा पशु-पक्षियों के प्रति मानव की संवेदनहीनता को मुख्य कारण बताया। गौरैया का हमारे दैनिक जीवन व पर्यावरण में संतुलन बनाने के महत्व को उजागर करते हुए किस प्रकार इस विलुप्त होते जा रहे पक्षी को वापस अपने आँगन में लाया जाए, इसके लिए डाॅ0 सेठी ने अत्यंत सरल व व्यवहारिक सुझाव साझा किए।
निश्चित ही यह निर्णायक समय है जब हम स्वयं से प्रश्न करें कि ‘कहाँ गई मेरे आँगन की गौरैया’? और अपने बचपन के दोस्त को वापस लाने के लिए ठोस कदम उठाएं। कार्यवाहक प्रधानाचार्य मनोज कुमार कपिल ने विद्यालय के सभी शिक्षकों के साथ शपथ ली कि वे इस अभियान को आगे बढ़ाते हुए विद्यालय परिसर में, जहाँ भी सम्भव होगा, गौरैया के घोंसले लगाने की व्यवस्था करेंगे।
डाॅ0 सेठी ने डीएवी परिवार के सभी शिक्षकों को वितरित करने के लिए 150 कृत्रिम घोंसले उपलब्ध करवाने का भी आश्वासन दिया। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के प्रधानाचार्य मनोज कुमार कपिल ने सभी आगन्तुकों का विद्यालय में आने तथा महत्वपूर्ण एवं रोचक जानकारी साझा करने के लिए हार्दिक धन्यवाद किया।