नवीन चौहान.
आखिर वह घड़ी आ ही गई जब टनल में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा। सभी श्रमिकों के जल्द बाहर आने की खबर जब उनके परिजनों तक पहुंची तो उनकी आंखों में खुशी के आंसू छलक पड़े। टनल से बाहर आने पर श्रमिकों को सबसे पहले परिजनों को ही मिलवाने के लिए टनल के पास बुलाया गया है।
बताया जा रहा है कि श्रमिकों तक पहुंचने के बाद चल रहे रेस्क्यू कार्य को फिलहाल रोक दिया गया है। टनल में फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के साथ ही अभियान में जुटी टीम के चेहरे भी खिल उठे। अब टनल के अंदर ही आठ बैड का अस्थायी अस्पताल बनाया गया है। डॉक्टरों की टीम मौके पर मौजूद है। एम्बुलेंस मौके पर ही तैयार खड़ी है। अधिकारी पल पल की खबर ले रहे हैं। अब हर किसी को श्रमिकों को खुले आसमान के नीचे टनल से बाहर देखने का इंतजार हो रहा है।
टनल के उस हिस्से से जिससे में श्रमिक फंसे थे बाहर आने के बाद पहले सभी श्रमिकों को मेडिकल चेकअप होगा। उनमें से यदि किसी की तबियत खराब हुई तो उसे तुरंत हायर सेंटर में रेफर करने की व्यवस्था भी की गई है। जानकारों की मानें तो अंदर फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के बाद एक दम खुले में नहीं लाया जाएगा। वो सभी पिछले 17 दिनों से अंधेरी गुफा में थे, इसलिए इस बात का भी ध्यान रखा जा रहा है कि एकदम सीधे प्रकाश में आने पर उनके शरीर पर विपरीत असर न हो।
विशेषज्ञों की मानें तो सभी श्रमिकों का तापमान मेंटन होने के बाद ही टनल से बाहर निकाला जाएगा। इसके लिए टनल के अंदर डॉक्टरों की पूरी टीम मौजूद है। डॉक्टरों की टीम हर स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार नजर आ रही है। यही वजह है एक ओर जहां अंदर अस्थायी अस्पताल की व्यवस्था की गई है वहीं उत्तरकाशी में भी अस्पताल में बेड रिजर्व रखे गए हैं। जरूत पड़ने पर एयर लिफ्ट की व्यवस्था भी रखी गई है।