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देशभर में आज कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत पूरे हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। घर घर लड्डू गोपाल के जन्म की तैयारी चल रही है। घरों में पूजा स्थलों को सजाया जा रहा है। देवालयों में भी श्री कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारी की गई हैं। मंदिरों को बिजली की रंगीन रोशनी से सजाया गया है।
ज्योतिषाचार्य राहुल अग्रवाल के मुताबिक निष्ठा, लग्न और प्रेमभाव से की गई पूजा से प्रभु जरूर प्रसन्न होते हैं। उन्होंने बताया कि कोई भी व्रत तभी सफल और पूर्ण होता है जब उसे विधि विधान के साथ किया जाए। जन्माष्टमी में कई लोग निराहार तो कई लोग फलाहार रखकर व्रत करते हैं। ऐसे में व्रत का पारण करते समय कुछ विशेष नियमों का ध्यान रखना चाहिए।
धार्मिक कथाओं के मुताबिक भगावन श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसीलिए जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र का विशेष महत्व है। हिन्दू पंचांग के मुताबिक 26 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र की शुरुआत शाम 3 बजकर 54 मिनट से होगी और समापन 27 अगस्त को शाम 3 बजकर 39 मिनट पर होगा।
जन्माष्टमी के दिन घर के पूजास्थल में पांच मोरपंख रखें और प्रतिदिन इनकी पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। मान्यताओं के अनुसार यदि इक्कीस दिन बाद इन मोरपंख को तिजोरी या लॉकर में रख दें, तो ऐसा करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होगी और अटके काम भी बनने लगेंगे।
जन्माष्टमी व्रत का पारण कान्हा को भोग लगाने के बाद ही करें।
कान्हा के भोग में अर्पित पंजीरी, पंचामृत और माखन से व्रत खोलें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सबको प्रसाद वितरित करना चाहिए। प्रसाद वितरण के बाद कान्हा के भोग से व्रत खोलना शुभ माना जाता है।