नवीन चौहान, हरिद्वार। धर्मनगरी में इन दिनों सियासी पारा गरम है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के हरिद्वार के संतों से मुलाकात के बाद एकाएक संघ प्रमुख मोहन भागवत का हरिद्वार आगमन के दौरे को साल 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों से जोड़कर देखा जा रहा है। संघ प्रमुख के कनखल स्थित हरिहर आश्रम पहुंचकर जूना अखाड़े के आचार्य म.म. स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज से मुलाकात उसके बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और शांतिकुंज प्रमुख डा. प्रणव पण्डया और पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण सहित प्रमुख संतों की बंद कमरे में चर्चा ने लोकसभा चुनाव की सियासत को गरमा दिया है। हालांकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और भारत माता मंदिर के प्रमुख स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि ने इस मुलाकात को संघ प्रमुख मोहन भागवत की धार्मिक यात्रा बताकर मीडिया से किनारा कर लिया है।
मंगलवार की देर रात्रि संघ प्रमुख मोहन भागपत हरिद्वार के कनखल स्थित हरिहर आश्रम पहुंचे। बुधवार की सुबह हरिहर आश्रम में प्रमुख संतों का आगमन शुरू हो गया। करीब साढे़ दस बजे प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत कनखल हरिहर आश्रम पहुंचे। करीब 40 मिनट तक संघ प्रमुख और मुख्यमंत्री व प्रमुख संतों की बंद कमरे में वार्ता हुई। इस वार्ता से हरिद्वार की मीडिया को दूर रखा गया। इसके बाद सबसे पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बंद कमरे से बाहर आये और मीडिया के चंद सवालों के जबाव दिये। उसके बाद भारत माता मंदिर के प्रमुख स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि बाहर आये और मीडिया के सवालों के जबाव दिये। इसके बाद हरिहर आश्रम प्रमुख और जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत की धार्मिक यात्रा है। वह रूद्राभिषेक करने के लिये आये हैं। राजनीति के संबंध में कोई चर्चा नहीं हुई है। लेकिन एकाएक हरिद्वार में वीवीआईपी का आगमन और संतों से मुलाकात का सिलसिला यूं ही नहीं चला। नेता और संतों की गुफ्तगू होगी तो सियासत पर चर्चा होना लाजिमी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के दौरे के बाद संघ प्रमुख का हरिद्वार होना और संतों से बंद कमरे में बातचीत करने में राजनैतिक चर्चा ना हो इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। मीडिया और जनता ने इस बंद कमरे की बातचीत के सियासी मायने निकालने शुरू कर दिये है।