बासमती का बढ़ेगा एरिया पर बीज की कमी से परेशान भी है किसान
अजय चौहान.
बासमती धान की खेती के प्रति किसानों का रूझान लगातार बढ़ रहा है। इसके पीछे कारण यही है कि पिछले कुछ वर्षों से बासमती के निर्यात में इजाफा हुआ है जिस कारण किसानों को उनकी फसल का अच्छा दाम मिल रहा है। इस बार भी बासमती धान की रोपाई के लिए किसान जमकर बीज की खरीदारी कर रहे हैं लेकिन बीज की कमी उनकी चिंता बढ़ा रही है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि बीज की कमी के बावजूद इस बार बासमती का एरिया बढ़ जाएगा।
एक्सपोर्ट क्वालिटी का बासमती धान देश में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और जम्मू कश्मीर में उगाया जाता है। भारत सरकार के बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान, मोदीपुरम मेरठ के माध्यम से बासमती धान की खेती करने वाले किसान अपनी उपज का निर्यात करते हैं। बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान विदेशों के मानकों को पूरा करने वाले बासमती धान की खेती की तकनीक और उसमें यूज किये जाने वाले उर्वरकों के बारे में किसानों को समय समय पर गोष्ठी और कार्यशाला आदि के माध्यम से जानकारी उपलब्ध कराता है ताकि निर्यात के दौरान किसी तरह की समस्या मानक को लेकर न हो। यह संस्थान किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज भी उपलब्ध कराता है।
कितना बीज अब तक बिका बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान का
बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के प्रधान वैज्ञानिक और प्रभारी डॉ. रितेश शर्मा ने बताया कि पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार बासमती की विभिन्न वैराइटी के बीज अधिक बिक चुके हैं। गत वर्ष करीब 75 लाख रूपये के बीज बेचे गए थे जो इस बार एक करोड़ दस लाख रूपये से अधिक के अब तक बिक चुके हैं। उन्होंने बताया कि बासमती की खेती उस बेल्ट में अधिक होती है जहां आलू की फसल ली जाती है। बताया कि पिछले वर्ष करीब 1000 कुंतल बीज की बिक्री इस सेंटर से की गई थी जबकि इस बार यह 1500 कुंतल से अधिक पहुंच गई है।
कौन सी वैराइटी अधिक बिकी
डॉ रितेश शर्मा के मुताबिक इस बार सबसे अधिक बासमती की 1509 प्रजाति की बिक्री हुई, यह करीब 454 कुंतल बिका, इसके अलावा 1692 प्रजाति 350 कुंतल, 1718 प्रजाति 250 कुंतल, पीवी-1 प्रजाति 130 कुंतल, 1121 प्रजाति 100 कुंतल बिका। नई वैराइटी में 1847 करीब 100 कुंतल, 1885 और 1886 का करीब 125 कुंतल बीज इस सेंटर से बिक्री हुआ। इसके अलावा अन्य कृषि संस्थानों से भी बड़ी संख्या में बीज का वितरण हुआ है। किसानों का रूझान इस बार नई वैराइटी 1847 और 1885 में अधिक दिखा, इसके पीछे की वजह ये बतायी गई कि यह प्रजाति कम गिरती है, जिस कारण फसल में नुकसान नहीं होता।
एरिया बढ़ने की क्या रहेगी वजह
इस बार बासमती एरिया बढ़ने के पीछे प्रमुख बाजार में अच्छे दाम मिलना बताया जा रहा है। पिछले साल बासमती धान 3800 से 5000 रूपये तक बिका। डॉ रितेश शर्मा के मुताबिक बाजार में बासमती के दाम अच्छे मिलने की वजह से अब किसान जागरूक हो रहा है, वह बासमती की खेती को वैज्ञानिक तरीके से करने लगा है, जिस कारण निर्यातक उनकी उपज के अच्छे दाम दे रहे हैं। क्वालिटी कंट्रोल होने के कारण विदेशों में अब भारतीय बासमती की डिमांड बढ़ने लगी है। देश का बासमती धान विश्व के करीब 150 देशों में निर्यात किया जा रहा है। कुछ किसानों ने निर्यातकों से सीधे संपर्क किया हुआ है। ऐसे किसानों का धान निर्यातक उनके खेत से उठा लेते हैं, उन्हें मंडी में जाकर अपनी उपज बेचने की जरूरत नहीं पड़ती।
धान के बीज की कमी भी आ रही सामने
धान के बीज की इस बार रिकार्ड बिक्री होने के बावजूद कुछ प्रजाति ऐसी हैं जिनकी कमी बनी हुई है। बासमती धान की वैराइटी 1509 की सबसे अधिक डिमांड इस बार रही। यह बीज सबसे पहले समाप्त हुआ, जिस कारण किसानों को निराश भी लौटना पड़ा। डॉ रितेश शर्मा ने बताया कि कुछ प्राइवेट स्थानों पर बीज मनमाने रेट पर बेचने की बात भी सामने आयी है। उनका कहना है कि किसानों को समय से बीज खरीदने पर ध्यान देना चाहिए, ताकि बाद में किसी तरह की कमी का सामना न करना पड़े। उन्होंने बताया कि पिछले साल बारिश की कमी की वजह से बीज के उत्पादन पर असर हुआ था, यही वजह रही कि इस बार बीज की कमी भी देखने को मिल रही है।