नवीन चौहान, हरिद्वार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा केदारनाथ के दरबार में जनता को संबोधित करते हुये 125 करोड की जनता की सेवा करने की जो बात कहीं अगर वो वास्तव में उनके दिल की सच्ची भावनायें है तो ये बात तो तय है कि मोदी भारत की जनता के लिये बहुत कुछ करने की इच्छा दिल में रखते है। कहते है कि केदार बाबा के मंदिर परिसर में कोई इंसान झूठ नहीं बोल सकता है। जिसने झूठ बोला उसका परिणाम भी अच्छा नहीं रहा। लेकिन भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने तो बाबा के दरबार में अपने दिल की इच्छा जाहिर कर दी। इसका मतलब ये हुआ कि वह भारत को दुनियां का सिरमौर बनाने और सभी नागरिकों की खुशहाली का सपना देखते है। देश के वर्तमान हालात तो इस ओर इशारा नहीं करते है। तो आखिर वो कौन सी उर्जा बाबा केदार से हासिल करने गये है, जिससे अपने दिल की इच्छा को पूरा कर भारत के नागरिकों को खुशहाल बना सके।
बतादे कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जीवन के सामान्य दिनों में एक बार विरिक्त की ओर बढ गये थे। सांसारिक मोह बंधन को त्याग पर मोक्ष की प्राप्ति के लिये पहाडों की ओर निकल गये। उस दौरान केदारनाथ के समीप गरूण चटटी की पहाडियों पर तपस्या करने आ गये। कुछ समय तक तपस्या करने के बाद वह फिर से सामान्य जीवन का हिस्सा बन गये। आज जब वह भारत के प्रधानमंत्री के पद पर सुशोभित है और बाबा केदारनाथ की पूजा अर्चना करने आये थे। तो उन्होंने अपने बीते दिनों की यादों का जिक्र जनता को संबोधित करते हुये किया। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि शायद बाबा की इच्छा नहीं थी कि मैं उनके चरणों में जीवन व्यतीत करू। उन्होंने कहा कि बाबा केदार ने उनको एक बाबा अर्थात केदारनाथ की सेवा के लिये नहीं अपितु सवा सौं करोड भारतवासियों की सेवा करनी है। पीएम मोदी को आज वो मुकाम भी मिल गया है जहां से वह सवा सौ करोड भारतीयों के भाग्य का फैसला करते है। अब जब पीएम मोदी ने केदारनाथ मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद भारत के सवा सौ करोड भारतीयों की सेवा करने की बात कहीं है तो संदेह नहीं कि इस अवसर पर उनके दिल में कुछ बात तो रही होगी। क्या वास्तव में पीएम मोदी सच्चे दिल से सभी भारतीयों को सुखी देखने का सपना देख रहे है। मोदी के इरादों और उनकी भावनाओं पर हमकों कोई शक नहीं है। मोदी ने जो भी निर्णय किये वो भारत के सुनहरे भविष्य को देखते हुये किये। लेकिन वर्तमान हालातों में मोदी के सामने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की सबसे बडी चुनौती है। भारत के गरीबों की आर्थिक स्थिति डगमगा रही है। बेरोजगारी बढ रही है। कारोबार ठप्प पडने लगे है। भारत का भ्रष्टाचार दीमक की तरह देश को खोखला कर रहा है। इन सबके अलावा भाजपा को सत्ता में बनाये रहने की चुनौतियां है। गुजराज में विधानसभा चुनाव है। गुजरात चुनावों को लोकसभा की अद्र्ववार्षिक परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है।