बासमती की खेती से मिलेगा अधिक लाभ, डॉ रितेश शर्मा ने दी किसानों को निर्यात की जानकारी




नवीन चौहान.
पर्वतीय क्षेत्रों में बासमती धान की खेती कर किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। भारत से निर्यात होने वाला सबसे अधिक कृषि उत्पाद बासमती ही है, जिससे निर्यात से सबसे अधिक विदेश मुद्रा भारत को प्राप्त होती है। यह बात बासमती निर्यात विकास प्रतिष्ठान के वरिष्ठ वैज्ञानिक व प्रभारी डॉ नितेश शर्मा ने कही।

कृषि निर्यात में सरकार के प्रयासों की दी जानकारी
राजकीय महाविद्यालय गोपेश्वर में नवाचार केंद्र द्वारा बासमती की खेती की संभावनाएं और निर्यात विषय पर मंगलवार को एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें स्थानीय किसानों द्वारा भागीदारी की गई। एपिडा (APFEDA) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ रितेश शर्मा ने कृषि निर्यात में सरकार के प्रयासों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत से सबसे अधिक निर्यात होने वाला कृषि उत्पाद चावल है और इसमें सबसे अधिक विदेशी मुद्रा बासमती से हासिल होती है। यदि उचित प्रयास किए जाएं तो बासमती को पर्वतीय क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि हिमाचल का कांगड़ा जिला इसका एक अच्छा उदाहरण है।

बीज के शुद्धिकरण और चयन के बारे में बताया
कार्यशाला के दौरान डॉ रितेश शर्मा ने यह भी बताया कि बीज के शुद्धिकरण और अच्छे बीजों के चयन किस प्रकार किया जाता है। बीज के संरक्षण के विषय में भी जानकारी दी। कार्यशाला में आए किसानों को उन्होंने बीज और फसल के अंतर को स्पष्ट किया। बासमती के बारे में डॉ ​नितेश शर्मा ने कहा कि इसकी पहचान उसकी खुशबू, लंबे दाने और पकने के बाद काफी बढ़ी हुई मात्रा से की जा सकती है। बताया कि भारत में बासमती की 45 किस्मे हैं।

किसान ने स्वयं दी बासमती उत्पादन की जानकारी
बासमती की मेरठ में खेती कर रहे विनोद सैनी ने स्वयं द्वारा की जा रहे उत्पादन के विषय में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शुरू में गन्ना किसानों द्वारा इसकी खेती में रुचि नहीं ली गई किंतु बासमती की अच्छी फसल और लाभ से किसान उत्साहित हुए और धीरे-धीरे अन्य किसानों ने भी बासमती की खेती की ओर ध्यान देना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि ऑर्गेनिक ढंग से उगाने के लिए जीवामृत और बीजामृत जैसे जैविक खादों का प्रयोग अच्छा रहता है। मुख्य विकास अधिकारी डॉ ललित नारायण मिश्र ने कहा कि बासमती की खेती करने से जिले में माल्टा और बुरांस की तरह चावल के प्रसंस्करण से कृषकों को लाभ हो सकता है, कहा कि लाल चावल इसका एक उदाहरण है। बासमती चावल की संभावनाओं पर विचार किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी शुरूआत के साथ आगे बढ़ना उचित रहेगा।

खेती के जिले में हो रहे अभिनव प्रयोग
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि राकेश गैरोला ने बताया कि जिले में खेती के लिए अभिनव प्रयोग हो रहे हैं और आशा की जानी चाहिए कि बासमती के उत्पादन के के बारे में भी कृषक विचार करेंगे। सहायक कृषि अधिकारी डॉ जितेंद्र भास्कर ने बताया कि किसी भी फसल की खेती के लिए मिट्टी की जांच बहुत आवश्यक है। उन्होंने श्रीधान विधि के विषय में किसानों को बताया और कहा कि यह विधि किसी भी प्रकार के धान उत्पादन में उपयोगी है।

क्विज प्रतियोगिता का भी किया आयोजन
कार्यक्रम के दौरान किसानों के लिए छोटी सी क्विज प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जो विशेषज्ञों के व्याख्यान पर आधारित थी। इसमें 10 किसानों को सही उत्तर देने में पुरस्कार प्रदान किया गया। इस मौके पर संगीत विभाग के छात्रों ने संगीत और नृत्य प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के अंत में प्राचार्य प्रोफेसर स्वाति नेगी ने कार्यक्रम में आए सभी किसानों का आभार व्यक्त किया।



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