उप चुनाव: मंगलौर में पंजा दिखायेगा दम या खिलेगा कमल, हाथी को घेरने की तैयारी




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नवीन चौहान.
मंगलौर विधानसभा सीट पर होने वाले उप चुनाव में सीधा मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी काजी निजामुददीन और भाजपा प्रत्याशी करतार सिंह भड़ाना के बीच ही फिलहाल देखने को मिलता दिखायी दे रहा है। बसपा प्रत्याशी उबैदुर्रहमान के वोट बैंक में सेंधमारी करने के लिए भाजपा और कांग्रेस पूरी ताकत लगाने की योजना बना चुके है। भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में तमाम स्टार प्रचारकों की फौज मैदान में उतरने जा रही है तो कांग्रेस के स्टार प्रचारक भी मंगलौर में डेरा डालने की तैयारी कर रहे है। यह चुनाव बेहद ही रोमांचक होने वाला है। पंजे का दम देखने को मिलेगा या कमल की खुश्बू महकेगी। हाथी की चाल दिखेगी या फिर वह लड़खड़ाएगी।

चलो अब लोकसभा चुनाव के कुछ चुनावी आंकड़ों पर नजर डालते है। बीते दिनों हुए लोकसभा चुनाव में मंगलौर विधानसभा सीट पर भाजपा को करारी शिकस्त देखने को मिली। भाजपा के त्रिवेंद्र सिंह रावत को करीब 21 हजार वोट मिले तो कांग्रेस के ​वीरेंद्र रावत को करीब 44 हजार वोटों से बढ़त मिली। जबकि बसपा के जहील अहमद का हाथी करीब 5500 वोटों हासिल कर पाया। 19 अप्रैल 2024 के मतदान में कांग्रेस यहां बहुत बेहतर स्थिति में दिखी।

अब बात करते है विधानसभा चुनाव 2022 की तो मंगलौर में काजी निजामुददीन को महज करीब 500 वोटों से शिकस्त मिली थी। कांग्रेस को करीब 30 हजार वोट मिले और बसपा के काजी सरबत करीम अंसारी को करीब 30 हजार पांच सौ वोट मिले। जबकि भाजपा को महज करीब 18700 वोट ही मिल पाए। यहां भाजपा तीसरे स्थान पर रही। मुस्लिम और दलित बाहुल्य सीट पर भाजपा कई दशकों से विधानसभा चुनाव नही जीत पाई। ऐसे में मंगलौर सीट भाजपा के लिए हारी हुई सीट मानी जाती रही है। भाजपा के तमाम स्थानीय दिग्गज नेता भी मंगलौर सीट पर चुनाव मैदान में उतरने से पहले कई बार मुंगेरी लाल के हसीन सपने देखते है।

लेकिन इस बार चुनाव बेहद रोचक होने जा रहा है। क्योकि भाजपा प्रत्याशी करतार सिंह भड़ाना यूं तो पैराशूट प्रत्याशी है। लेकिन उनका पुराना रिकार्ड बेहद शानदार रहा है। धनबल और बाहुबल में भड़ाना मजबूत है। भड़ाना का हैलीकाप्टर पहले ही दिन रोड़ शो के दौरान आसमान में उड़ा और पुष्प वर्षा करता दिखाई दिया। दिल्ली से लेकर हरियाणा के कई जनपदों से भड़ाना समर्थक रोड़ शो में दिखाई दिए। अब मुकाबला मंगलौर में काजी निजामुददीन की सादगी और भड़ाना की तड़क— भड़क के बीच देखने को मिल रहा है। सवाल यह भी है कि बसपा के सरबत करीब अंसारी के निधन से खाली हुई विधानसभा सीट पर उनके सुपुत्र उबैदुर्रहमान को सहानुभूति वोट कितना मिलेगा।



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