DAV में दिव्यता और भव्यता के साथ वैदिक ज्ञान का मंथन, हवन यज्ञ की सुगंध से महका उत्तराखंड




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नवीन चौहान
डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल जगजीतपुर में दिव्यता और भव्यता के साथ वैदिक ज्ञान का मंथन हुआ। हवन यज्ञ की आहूतियों की सुगंध से उत्तराखंड महक उठा। शिक्षा, संस्कार, संस्कृति एवं देश भक्ति का अनूठा संगम हुआ। वेदों के सार को प्रबुद्धजनों ने अपने ज्ञान से बच्चों और अभिभावकों को अभिभूत किया। वैदिक आनन्दोत्सव कार्यक्रम में बच्चों ने भारतीय शक्ति और संस्कृति के खूब दर्शन कराए।

डीएवी प्रबन्धकर्तृ समिति, नई दिल्ली के प्रधान पद्मश्री डाॅ पूनम सूरी के निर्देशन में वैदिक आनन्दोत्सव का आयोजन डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल जगजीतपुर में बड़े ही धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ पवित्र यज्ञ में वेद मंत्रोच्चारण के साथ हवन यज्ञ में आहूति देकर किया गया। सीबीएसई के क्षेत्रीय अधिकारी मनीष अग्रवाल ने बतौर मुख्य अतिथि हवन यज्ञ में वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ आहूति दी।

वैदिक आनन्दोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ मंत्रोच्चारण के साथ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। डीएवी स्कूल के प्रधानाचार्य मनोज कुमार कपिल ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों को समृद्धि सूचक पौधे एवं अंगवस्त्र देकर स्वागत अभिनंदन किया। डीएवी गान ‘डीएवी जय जय’ के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। मुख्य अतिथि के सम्मान में स्कूली बच्चों ने स्वागत नृत्य ‘पधारो म्हारो देश रे’ प्रस्तुत किया गया।

आर्य समाज के प्रचारक व कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सुरेन्द्र शर्मा ने संबोधन में कहा कि डीएवी विद्यालय अंग्रेजी शिक्षा के साथ-साथ वैदिक संस्कारों के ज्ञान से बच्चों को श्रेष्ठ बनाने में प्रयत्नशील है। उन्होंने चारों वेदों के उद्देश्य को बताते हुए ओ3म् का अर्थ बताया। ओ3म् ईश्वर प्राप्ति का साधन है। उन्होने प्रकृति, ईश्वर और आत्मा का रूप समझाया। उन्होंने कहा कि डीएवी विद्यालय श्रेष्ठ समाज के निर्माण में अग्रसर है। तथा प्रवचन के चार अक्षरों के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।

मुख्य अतिथि मनीष अग्रवाल ने उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए कहा कि डीएवी विद्यालय स्वामी दयानन्द सरस्वती द्वारा जगाई गई वेदों की अलख को निरंतर जागृत कर ऊंचाइयों तक ले जा रहा है। अपने नाम के अनुरूप दयानन्द एंग्लो वैदिक (डीएवी) अंग्रेजी और वैदिक संस्कृति का समागम इन विद्यालयों के माध्यम से समाज को मिल रहा है। विद्यालय किताबी शिक्षा, संस्कार, सहयोग तथा जीवन में काम आने वाली कितनी ही दैनिक शिक्षा देने का कार्य करते हैं। बच्चों का सर्वांगीण विकास विद्यालय में ही संभव होता है। डीएवी बच्चों का सर्वागीण विकास करने के साथ ही भारत के लिए श्रेष्ठ नागरिक बनाने का कार्य कर रहा है। ऐसे में स्कूल के सभी प्रबंधक, प्रधानाचार्य व शिक्षक बधाई के पात्र है।

डीएवी के प्रधानाचार्य मनोज कुमार कपिल ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया तथा आनंदोत्सव कार्यक्रम के उददेश्य को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि वैदिक​ ज्ञान को आत्मसात करने से ही देश की युवा पीढ़ी श्रेष्ठ बन सकती है। यह आयोजन भारतीय संस्कृति व संस्कारों को जोड़ने, पर्यावरण संरक्षण की मुहिम को आगे बढ़ाने व समाज की कुरीतियों को दूर करने के साथ ही वेदों के प्रचार प्रसार का अहम हिस्सा है।

मुख्य अतिथियों के अतिरिक्त हरिद्वार के विभिन्न विद्यालयों तथा उत्तराखंड के डीएवी विद्यालयों के प्रधानाचार्य शालिनी समाधिया, लीना भाटिया, रमणीक शाह सूद, पूनम श्रीवास्तव, नीलम बक्शी, डाॅ श्रीनिवास, बबीता श्रीनिवास, पीके. सरकार आदि सम्मिलित हुए। अन्य गणमान्य अतिथियों में कुलभूषण सक्सेना, डाॅ एस.के. मिश्रा, राजेन्द्र भाटिया आदि उपस्थित रहे।

आधुनिक भारत के चिंतक तथा आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती जी के पद चिह्नों पर अग्रसर डीएवी संस्थान निरंतर समाज में नैतिक मूल्यों व भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए प्रयत्नरत है। इस सम्मेलन में बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों को भी भारतीय संस्कृति से जोड़े रखने का अनूठा प्रयास किया गया। , वैदिक विचारों का खूब मंथन हुआ। से विद्यालय प्रांगण गुंजायमान हुआ, यज्ञ की सुगंध से सम्पूर्ण वातावरण पवित्र हो गया।

बच्चों की शानदार प्रस्तुति
स्कूल के नन्हे छोटे बच्चों ने पर्यावरण की रक्षा और वृक्षों के कटाव से होने वाली हानियों को दर्शाता हुआ समूह नृत्य ‘ना काटो मुझे’ प्रस्तुत कर दर्शकों को पर्यावरण के प्रति संजीदगी से सोचने पर मजबूर कर दिया।

गीता श्लाकों से अभिभूत
कक्षा दो के विद्यार्थियों ने गीता श्लोकों की सरस और सार्थक प्रस्तुति दी। दर्शकों ने तालियों से बच्चों का उत्साहवर्धन किया। नन्हे मुन्ने बच्चों के मुख से संस्कृ​त के क​ठिन श्लोकों को सुनकर उपस्थितजनों ने दांतो तले अंगुली दबा ली।

रानी अहिल्याबाई का जीवन व्यक्तित्व
डीएवी विद्यालय नृत्य, संगीत, संस्कृति के साथ-साथ अपने विद्यार्थियों को इतिहास की भी शिक्षा देता है, जिससे वह अपनी संस्कृति और इतिहास के गौरव को याद रखें। इसी के चलते ‘रानी अहिल्याबाई होलकर’ के जीवन व्यक्तित्व का दर्शन कराते हुए एक शानदार प्रस्तुति दी। वीरांगना की वीरता और एक नारी के अडिग निर्णय और त्याग की कहानी प्रस्तुत की गई। उपस्थितजनों ने तालियों की गूँज से बच्चों की प्रस्तुति की प्रशंसा की।

विद्यालय के अध्यापकों एवं अध्यापिकाओं ने भजन प्रस्तुति द्वारा कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। कक्षा तीन, चार और अन्य विद्यार्थियों के समूह नृत्य ‘तारों से सजके’ तथा ‘वन्दे मातरम्’ की शानदार प्रस्तुति ने सब का मन मोह लिया।



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