उपद्रवियों से होगी सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई, राज्य सरकार की मंजूरी




नवीन चौहान.
प्रदेश में उपद्रव फैलाने वालों की अब खैर नहीं होगी। उपद्रवियों पर शिकंजा कसने की दिशा में उत्तराखण्ड सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। दंगा और अशांति फैलाने के दौरान सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की वसूली नुकसान पहुंचाने वालों से की जाएगी। इसके लिए एक क्लेम ट्रिब्यूनल का गठन किया जाएगा। सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई बैठक में कैबिनेट ने इससे संबंधित कानून बनाने पर अपनी मुहर लगा दी है।

राज्य मंत्रिमंडल की आज हुई बैठक में इसे लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। इसके तहत सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने पर मुकदमा दर्ज होने की स्थिति में सर्किल ऑफिसर अपनी रिपोर्ट संबंधित जिलाधिकारी को प्रेषित करेंगे। जिलाधिकारी द्वारा गठित क्लेम ट्रिब्यूनल, कोर्ट कमिश्नर के माध्यम से नुकसान का आंकलन करेगा। जिसके बाद इस कानून के अंतर्गत संबंधित व्यक्ति से वसूली की जाएगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार ने “दंगारोधी” यानी दंगे के दौरान होने वाले संपूर्ण नुकसान की भरपाई को देश के सबसे कठोर (अध्यादेश) कानून को मंजूरी दे दी है। इस कानून के तहत अब निजी और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर दंगाइयों से क्षति की पूरी वसूली की जाएगी। इसके अलावा 8 लाख तक का बड़ा जुर्माना और दंगा नियंत्रण में सरकारी अमले और अन्य कार्य पर आने वाले खर्चे की भरपाई भी की जाएगी। आज मंत्रिमंडल ने इस कानून को मंजूरी देकर राज्यपाल की स्वीकृति को भेज दिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि “दंगों और अशांति फैलाने के मामलों में सख्ती से रोक लगाने के उद्देश्य से आज कैबिनेट बैठक के दौरान एक विशेष ट्रिब्यूनल के गठन को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है। दंगों के दौरान होने वाले सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की क्षतिपूर्ति दंगाइयों से ही की जाएगी। प्रदेश की शांति व्यवस्था बिगाड़ने वालों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी और एक ऐसी नजीर बनाएंगे जिससे देवभूमि की पवित्र भूमि को कलंकित करने वाले दंगाइयों की पीढियां भी वर्षों तक याद रखेंगी।”

सरकार ने कैबिनेट में इस कानून को मंजूरी के बाद राज्यपाल की स्वीकृति को भेज दिया है। चूंकि वर्तमान में राज्य विधानमंडल सत्र नहीं चल रहा है, ऐसे में भारत का संविधान के अनुच्छेद 213 के खंड 1 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कर राज्यपाल को इस कानून को राज्य में लागू करने के अधिकार प्राप्त हैं। राज्यपाल की मंजूरी के बाद राज्य में धामी सरकार का तीसरा बड़ा निर्णय और कानून “उत्तराखंड लोक तथा निजी संपत्ति वसूली अध्यादेश 2024” राज्य में लागू हो जाएगा।



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