उत्तराखंड के पुलिस कर्मियों को उनके गृह जनपदों में मिले तैनाती




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  • एडवोकेट अरुण भदोरिया ने पत्र लिखकर की सीएम से मांग

न्यूज 127.
हरिद्वार के वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भदोरिया, कमल भदोरिया एडवोकेट और चेतन भदोरिया एलएलबी अध्यनरत ने प्रदेश के मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड को पत्र भेजकर मांग की है कि पहाड़ क्षेत्र के रहने वाले पुलिसकर्मी व अन्य विभाग के कर्मियों की नौकरी के दौरान नियुक्ति गृह जनपद में ही होनी चाहिए। हाल ही में जो आदेश नियुक्ति के दिये गए हैं उन्हें वापस लिया जाना चाहिए। इस आदेश से ग्रह जनपदों में ड्यूटी कर रहे पुलिस कर्मियों के ​परिवारों को दूसरे जनपदों में ड्यूटी करने के दौरान पलायन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

अधिवक्ता का कहना है कि उत्तराखंड राज्य जो 13 जिलों का है, जिसमें अधिकतर पहाड़ी क्षेत्र है। पहाड़ के रहने वाले व्यक्ति की नौकरी में स्थानांतरण जब मैदानी क्षेत्र या दूर दराज क्षेत्र में हो जाता है तो वह कार्मिक उस जनपद में रहकर अपना मकान जैसे तैसे करके बना लेता है और अपने पूर्वजों के मकान और घर को मजबूरन पलायन करके चला जाता है। इस तरह से उत्तराखंड के पहाड़ में पलायन हो रहा है। जिसको रोकने के लिए पत्र भेजा गया है।

पूर्व में भी अरुण भदोरिया एडवोकेट द्वारा मुख्यमंत्री व पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड को पुलिस कर्मियों के गृह जनपद की तैनाती के लिए प्रार्थना पत्र देने पर उसका पुलिस विभाग द्वारा सर्वे कराया गया था। तब 7 जिलों में गृह जनपद में पुलिस कर्मियों की तैनाती तहसील क्षेत्र छोड़कर का आदेश पारित किया गया था, जिसमें प्रदेश के 7 जिलों के पुलिसकर्मी अपने गृह जनपद चले गए और वहां जाकर अपने पुराने मकान को तोड़कर या उसके मरम्मत करवा कर नया बनवा दिया।

हाल ही में पुलिस के गढ़वाल, कुमाऊं के अधिकारियों ने पुलिस कांस्टेबल के स्थानांतरण गृह जनपद से हटकर अन्य जनपदों में कर कर दिया है, जिससे एक बार फिर वही स्थिति पहाड़ से पलायन हो जाने वाली हो गई है, क्योंकि पुलिसकर्मियों द्वारा पूर्व में जो मकान अपने गृह जनपद से दूर बने थे और बाद में सरकार द्वारा गृह जनपद में तैनाती का आदेश पारित करने पर उक्त मकान उन पुलिसकर्मियों द्वारा विक्रय कर दिए गए और अपने गांव में जाकर मकान को नया बनवाकर अपने तैनाती स्थल तहसील क्षेत्र छोड़कर ड्यूटी को अंजाम देते हुए अपने बुजुर्ग माता-पिता की भी सेवा करने का सौभाग्य भी प्राप्त किया।

लेकिन अब उन पुलिस कर्मियों को नए जनपद में जाकर या तो मकान नया बनवाना पड़ेगा और या किराए का मकान लेना होगा और साथ ही सबसे बड़े दुर्भाग्य की बात यह है कि पहाड़ से एक बार फिर पलायन होने की स्थिति हो गई है। जबकि राज्य सरकार इस और की पहाड़ से पलायन न हो, योजनाएं बनाते हैं लेकिन कुछ अधिकारी इस और गंभीरता से ध्यान नहीं देकर और समस्या को उलझाने में और पहाड़ को वीरान करने में लगे हुए हैं।

इस संबंध में उन्हें मुख्यमंत्री उत्तराखंड व पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड को पत्र भेज कर पहाड़ क्षेत्र के गृह जनपद से हुए पुलिस कर्मियों की स्थानांतरण को तत्काल प्रभाव से रोके जाने के आदेश, तथा उन्हें गृह जनपद में ही पहाड़ के पुलिसकर्मियों को तैनाती दिए जाने की संबंधित अधिकारियों को आदेश पारित करने की मांग की गई है।