मकर संक्रांति पर्व के बारे में 6 मान्यताएं, जिनके बारे में कम जानते हैं लोग




नवीन चौहान.
बहुत कम लोगों को जानकारी है कि मकर संक्रांति पर्व मनाने के पीदे हिन्दू मान्यताओं का क्या प्रयोजन है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 6 प्रयोजन ऐसे हैं जिन्हें जानना जरूरी है। आमतौर पर लोग कम ही इसके बारे में जानते हैं। हिन्दु दर्शन में सूर्य के उत्तरायण होने की बड़ी मान्यता है। इस पर्व को मनाने के निम्न 6 प्रमुख कारण है।

(1) ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति पर्व पर सूर्य अपने पुत्र शनि के घर जाते है। उधर मकर राशि का स्वामी शनि है। अत: इसे पिता पुत्र के मिलन और पिता–पुत्र के मधुर संबंधों के महत्त्व के रूप में देखा जाता है।
(2) इसी तरह एक मान्यता है कि भगवन विष्णु और मधु-कैटभ के युद्ध में आज ही के दिन विष्णु ने मंदार पर्वत को मधु के कन्धों पर रखा कर दबा दिया था। जिस कारण उसकी मौत हुई और युद्ध समाप्त हुआ। इसीलिए विष्णु मधुसुदन भी कहलाये।
(3) एक मान्यता है कि महाराजा भागीरथ अपने पूर्वजों के तर्पण हेतु गंगा को धरती पर लाये थे। मकर संक्रांति के दिन ही उन्होंने अपने पूर्वजों का तर्पण किया जिससे पूर्वजों की आत्माओं को शांति मिली। भागीरथ ने गंगा को छोड़ा तब गंगा, गंगा सागर में जाकर सागर में मिली। इसलिए आज के दिन वहां बड़ा मेला लगता है।
(4) माँ दुर्गा ने मकर संक्रांति के दिन ही महिषासुर नामक दैत्य का वध कर धरती पर कदम रखा था। इस हेतु भी इस दिन का महत्त्व बढ़ जाता है।
(5) मकर संक्रांति के दिन मृत्यु होने पर सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसीलिए भीष्म पितामह, जिन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था अपने प्राण इसी दिन त्यागे थे।
(6) मकर संक्रांति पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता हुआ उत्तरायण में आता है। हिन्दू दर्शन में उत्तरायण की स्थिति शुभ मानी जाती है।



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