आकाश कुमार, मेरठ। भागवत गीता के संस्कृत श्लोक गायन की प्रदेश स्तरीय प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त करने वाली आलिया खान को जहां सीएम आदित्यनाथ योगी ने उसे उसकी प्रतिभा को देखकर सम्मानित किया वहीं देवबंदी उलेमा ने उसके भागवत गीता के श्लोक पढ़ने और श्रीकृष्ण का रूप धारण करने को इस्लाम के खिलाफ बताकर ऐतराज जताया है। आलिया खान को 30 दिसंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में सम्मानित किया था। उसे 25 हजार रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया था। उसने कृष्ण की वेशभूषा भी धारण की थी। सोमवार को मेरठ के सेठ बीके माहेश्वरी बालिका इंटर कॉलेज में हुए सम्मान समारोह में भी वह कृष्ण वेश में मौजूद रही।
दारुल उलूम के ऑनलाइन फतवा विभाग के चेयरमैन मुफ्ती अरशद फारुकी ने आलिया के इस रूप पर ऐतराज जताया। उन्होंने कहा कि किसी भी मुसलमान बच्ची या बच्चे का जो स्कूल के छात्र हैं, ऐसे रूप को इख्तियार करना जो इस्लाम के मुखालिफ हैं वह शिर्क (अल्लाह के अलावा किसी दूसरे मजहब को मानना) कहलाता है। इस्लाम में इसकी इजाजत नहीं है। इस कारण अगर किसी छात्रा ने गीता के शब्द और श्लोक पढ़े हैं और कृष्ण का रूप इख्तियार किया है तो शिर्क जैसी बात है। ऐसी ड्रामों में और कार्यक्रमों में मुसलमान बच्चों को शामिल ना करें जो उनके मजहब के खिलाफ हो। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि जब टीवी सीरियल सिया के राम में दानिश खान हनुमान का रोल कर सकते हैं तो आलिया के गीता पढ़ने पर कुछ लोगों को दिक्कत क्यों हो रही है।
वहीं दूसरी ओर आलिया खान का कहना है कि वह पहले हिंदुस्तानी है। गीता पाठ करके उसने अपने धर्म का त्याग नहीं किया है। जो लोग इसे मुद्दा बनाकर राजनीति करना चाहते हैं वह मुस्लिम समाज के लिए अलग से विद्यालय खुलवाएं। मुझ पर अपनी राय देने से पहले शाहरुख खान, सलमान खान, अली जफर, गीता गर्ल मरियम पर भी अपनी राय दें। गीता धार्मिक किताब नहीं है। वह कर्म ज्ञान देती है। जैसे हमारे यहां नेकी कर दरिया में डाल। यही गीता सिखाती है। मैंने ज्ञान के लिए इसका पाठ किया है। ज्ञान हम किसी भी धर्म के ग्रंथ से ले सकते हैं। ग्रंथ हमें इंसानियत का पाठ पढ़ाते हैं। मैंने वहीं किया है। रूप धारण करने से मेरा मजहब नहीं बदल जाता। मुझे इस तरह की राजनीति में न घसीटें। मुझे पढ़ने दें।