नवीन चौहान, हरिद्वार। निकाय चुनाव में हरिद्वार नगर निगम के मेयर और शिवालिक नगर पालिका अध्यक्ष पद की सीटों पर कांटे की टक्कर है। जनता की ओर से आ रहे रूझानों की माने तो भाजपा के मेयर प्रत्याशी और पालिका अध्यक्ष की सीट फंसी हुई दिखाई पड़ रही है। जबकि भाजपा के पार्षद और सभासदों की अपेक्षा से कम सीट आने की संभावना है। इस निकाय चुनाव में निर्दलीय ने अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन किया है। जिसके चलते परिणाम बेहद चौंकाने वाले आने की संभावना भी बढ़ गई है।
हरिद्वार निकाय चुनाव में डबल इंजन की भाजपा सरकार केंद्र की मोदी सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुये जनता से वोट पाने की हसरते लेकर चुनाव प्रचार में उतरी थी। हरिद्वार की राजनीति के धुरंधर माने जाने वाने तीन बार के विधायक और सरकार में कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक खुद भाजपा मेयर प्रत्याशी अन्नु कक्कड़ की जीत दिलाने के लिये मैदान में डटे रहे। मदन कौशिक ने अपनी रणनीति के तहत चुनाव प्रचार किया। लेकिन हरिद्वार की टूटी फूटी सड़के, बस अड्ढा प्रकरण, अतिक्रमण अभियान और कई अन्य समस्याओं ने स्थानीय विधायक का पीछा नहीं छोड़ा। मदन कौशिक ने जनता को बहुत समझाने का प्रयास किया और उनके हितों की रक्षा करने का वचन भी दिया। उन्होंने वोटरों को लुभाने के लिये खूब डोरे भी डाले। ब्राहाण समाज, निजी स्कूल एसोसियेशन, टैक्सी यूनियन व तमाम संगठनों के साथ बैठक कर उनकी नाराजगी को दूर करने का प्रयास किया। उनकी तमाम समस्याओं को दूर करने का भरोसा दिया। व्यापारी संगठनों को एक मंच पर लाकर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किया। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी अनिता शर्मा के पति अशोक शर्मा नगर निगम की सत्ता परिवर्तन करने और कमला जौरा और पूर्व मेयर मनोज गर्ग के कार्यो का उदाहरण देते हुये जनता से वोट देने की अपील करते रहे। 18 नवंबर को मतदान के दिन वोटरों ने शांतिपूर्वक मतदान किया। जब इन वोटरों का मन टटोलने का प्रयास किया गया तो एक ही बात निकलकर आई परिवर्तन। आखिरकार हरिद्वार की जनता की नाराजगी किससे से थी। स्थानीय विधायक मदन कौशिक से या पूर्व मेयर मनोज गर्ग के कार्यकाल से अथवा भाजपा से। लेकिन एक बात तो तय है कि नगर निगम हरिद्वार की सीट पर इस बार भाजपा को खतरा मंडराता दिखाई पड़ रहा है। अब देखना होगा कि मलिन बस्तियों का वोटरों का झुकाव किस ओर गया है। वैसे हरिद्वार की जनता तो परिवर्तन की बात कर रही है। लेकिन हरिद्वार की राजनीति के सूरमा मदन कौशिक चुनाव हार जाये ये बात किसी के गले नहीं उतर रही है। बताते चले कि मदन कौशिक राजनीति के माहिर खिलाड़ी है और चुनाव जीतने की कला में निपुण है। मदन के चुनावी प्रबंधन के आगे अच्छे-अच्छे गणितज्ञों का हिसाब गड़बड़ा जाता है। यही कारण है मदन कौशिक मेयर सीट पर जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है।