जंगलों को दहकने से बचाने के लिए जिलाधिकारी सी रविशंकर ने कवायद कराई शुरू




नवीन चौहान
उत्तराखंड में जंगलों में आग लगने की घटनाओं के बाद से हरिद्वार जिला प्रशासन ने आग से निपटने के लिए प्रशिक्षण के साथ व्यवस्थाओं को जुटाने के लिए कवायद शुरू कर दी है। जिलाधिकारी सी रविशंकर ने लोगों के बीच वनाग्नि से वन्य जीवों और पर्यावरण को बचाने के लिए जनसहभागिता को व्यापक ढंग से बढ़ावा देने के निर्देश दिएं। उन्होंने वन गुर्जर बस्तियों, ग्राम सभाओं, वन्य क्षेत्र के आबादी क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों को जागरूक व प्रशिक्षित किये जाने को कहा। स्थानीय लोगों को जागरूक किया जाये कि घटना होने पर वन विभाग व आपदा प्रबंधन विभाग को तत्काल सूचित करना है व घटना के समय स्थानीय व्यक्ति को क्या उपाय अपनाने हैं।
जिलाधिकारी सी रविशंकर की अध्यक्षता में जिला वनाग्नि प्रबंधन योजना की बैठक सीसीआर सभागार में सम्पन्न हुई। समिति अध्यक्ष जिलाधिकारी ने इस वर्ष की प्रबंधन योजना को विचार विमर्श के बाद स्वीकृति प्रदान की।
डीएफओ नीरज शर्मा ने अग्नि दुर्घटनाओं का विगत वर्षो का तुलनात्मक विवरण जिलाधिकारी समक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष वन विभाग क्षेत्रों में अग्नि दुर्घटनायें शून्य रहने तथा रिजर्व वन क्षेत्र में कम घटनाएं होने से यह वर्ष को अग्नि दुर्घटनाओं की दृष्टि से संवेदनशील माना जा रहा है। जिलाधिकारी ने संवेदनशीन क्षेत्रों में दुर्घटनाओं के कारण, और वनाग्नि की स्थिति से निपटने के लिए वन, आपदा प्रबंधन, वन्य जन्तु प्रतिपालक राजाजी टाइगर रिजर्व, अग्नि शमन विभागों की सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने संबंधित विभागों केा आपसी समन्वय और सूचना तंत्र को प्रभावी रूप से सक्रिय बनाने के लिए विभागों के कंट्रोल रूम को एक दूसरे कनेक्टेड बनाए जाने को कहा, जिससे किसी भी कंट्रोल रूम को प्राप्त वनाग्नि की सूचना तत्काल वन व अन्य विभागों तक पहुंचे और रिस्पाॅंस टाइम व नुकसान को कम किया जा सके। डीएफओ ने फरवरी माह की शुरूआत में ही स्थानीय लोगों के बीच जागरूकता कार्यक्रम और व्यापक प्रचार प्रसार किए जाने तथा सम्बंधित विभागों की एक कार्यशाला आयोजित किये जाने की जानकारी दी।



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