नवीन चौहान.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए एक जून तक के लिए अंतरिम जमानत दे दी। हालांकि उन्हें अंतरिम जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने छह शर्तें भी लगायी हैं। प्रवर्तन निदेशालय के नौ समन के बाद केजरीवाल की 21 मार्च को गिरफ्तारी हुई थी। करीब 50 दिन बाद उन्हें राहत मिली है।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय के वकील अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा था कि वह केजरीवाल को अंतरिम राहत पर शुक्रवार को आदेश पारित कर सकते हैं।
ईडी ने केजरीवाल की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था। इसमें केंद्रीय एजेंसी ने कहा था कि चुनाव में प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है और न ही संवैधानिक। वहीं, ईडी के हलफनामे पर केजरीवाल की लीगल टीम ने कड़ी आपत्ति जताई थी। हालांकि ईडी की सभी दलीलों को दरकिनार करते हुए अदालत ने केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी।
ये हैं शर्तें
— अरविंद केजरीवाल को समर्पण कर दो जून को जेल में लौटना होगा।
— केजरीवाल आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपनी भूमिका पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
— केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय और दिल्ली सचिवालय में नहीं जाएंगे।
— वे किसी भी गवाह से बात नहीं कर सकेंगे और मामले से जुड़े आधिकारिक दस्तावेजों को नहीं देख सकेंगे।
— उन्हें अपने इस बयान का पालन करना होगा कि वे किसी भी आधिकारिक फाइल पर तब तक दस्तखत नहीं करेंगे, जब तक कि मामला उपराज्यपाल से मंजूरी हासिल करने जितना जरूरी न हो।
— उन्हें 50 हजार रुपये का मुचलका भरना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने की ये टिप्पणियां
— अरविंद केजरीवाल को दी गई अंतरिम जमानत को उनके खिलाफ मामले से जुड़े गुण-दोष पर दी गई राय न माना जाए।
— केजरीवाल के खिलाफ गंभीर आरोप हैं, लेकिन वे अब तक दोषी करार नहीं दिए गए हैं।
— उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, न ही वे समाज के लिए खतरा हैं।
— लोकसभा चुनाव के मद्देनजर समग्र और उदार दृष्टिकोण उचित है।
— केजरीवाल डेढ़ साल तक बाहर थे। उन्हें (ईडी द्वारा) पहले या बाद में गिरफ्तार किया जा सकता था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।