नवीन चौहान, हरिद्वार। हरिद्वार पुलिस की इन दिनों मुसीबत बढ़ी हुई है। इस मुसीबत से निकलने का पुलिस के पास कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है। अवैध खनन के खेल से परदा उठाना पुलिस के लिये मुसीबत का सबब बनता जा रहा है। पुलिस वाहन को पकड़ती है तो विधायकों से लेकर पत्रकारों के फोन वाहन को छुड़ाने के लिये आते हैं। पुलिस सड़कों पर निकलकर कार्रवाई नहीं करती है तो एसएसपी के पास अवैध खनन के लिये फोन घनघनाते हैं। दबी जुबान से ही सही थाने की पुलिस अवैध खनन पर कार्रवाई को लेकर पशोपेश में है। वहीं अपराध को रोकना और पीड़ितों को इंसाफ दिलाने की चुनौती पुलिस के सामने है। ऐसी स्थिति में देहात के थानों की स्थिति बहुत ही दयनीय बनी हुई है। पुलिस के पास इस स्थिति से निबटने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है।
धर्मनगरी में खनन के पट्टों के खुलने के साथ ही अवैध खनन का खेल शुरू हो गया है। राजनैतिक रसूक के दम पर खनन माफिया सिस्टम को खुली चुनौती देते हैं। इन माफियाओं की पैरवी करने के लिये नेता और विधायकों से लेकर पत्रकार भी करते हैं। एक दूसरे माफियाओं के वाहनों को पकड़वाने के लिये पुलिस के पास लगातार सूचनायें आती हैं। इस सूचनाओं पर पुलिस कार्रवाई करती है तो उनके पैरोकार पुलिस पर दबाब बनाते हैं। ऐसे में अगर पुलिस कार्रवाई नहीं करती है तो पुलिस पर खनन माफियाओं से मिले होने के आरोपों की शिकायत एसएसपी के पास पहुंचती है। दिनभर में दर्जनों फोन एसएसपी के पास अवैध खनन होने की सूचनाओं के पहुंचते हैं। ऐसे ही एक मामले में पुलिस ने वाहनों को पकड़ा तो उस वाहन को छुड़ाने के लिये तमाम विधायकों, नेताओं और पत्रकारों के फोन पुलिस पर पहुंचे। ये कोई एक जनपद के एक थाने की स्थिति नहीं है। कमोवेश सभी देहात के थानों में यही आलम है। अवैध खनन पर कार्रवाई करें तो पुलिस की मुसीबत बढ़ जाती है। पुलिस कार्रवाई नहीं करती है तो उसे खनन माफियाओं के साथ सांठगांठ के आरोपों का सामना करना पड़ता है। इस मुसीबत से निकलने का कोई रास्ता थाने की पुलिस के पास नजर नहीं आ रहा है। जबकि जिला प्रशासन की ओर से अवैध खनन को रोकने के लिये कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिला प्रशासन की ओर से अभी तक अवैध खनन पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।