नवीन चौहान, हरिद्वार। दरोगा व उसके दो साथियों को गैंगरेप के आरोप में दर्ज मुकदमे में पुलिस ने क्लीन चिट दे दी है। पीड़िता व उसके परिवार का जांच अधिकारी को कोई सुराग नहीं लग पाया। इस केस में दो महिला विवेचकों ने पीड़िता के घर का पता लगाने का प्रयास किया। आखिरकार पुलिस ने केस को फर्जी मानते हुये खारिज कर दिया है। ज्वालापुर कोतवाली के एसएसआई संजीव थपरियाल ने बताया कि मुकदमा झूठा है। इस नाम की कोई पीड़िता नहीं है। पुलिस ने केस खारिज कर दिया है।
ज्वालापुर कोतवाली क्षेत्र की एक महिला ने पुलिस मुख्यालय में डीजीपी अनिल रतूड़ी को एक पत्र भेजकर दरोगा प्रदीप कुमार व उसके दो साथियों पर सनसनीखेज आरोप लगाये। डीजीपी की ओर से इस प्रकरण में मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिये गये। 28 दिसंबर को ज्वालापुर कोतवाली में दरोगा प्रदीप कुमार, ईश्वर चंद्र व अनिल कुमार नाम के व्यक्तियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया गया। कोतवाली प्रभारी अमरजीत सिंह ने इस केस की जांच महिला उप निरीक्षक संदीपा भंडारी को दे दी। जांच अधिकारी संदीपा भंडारी पीड़िता के बयान दर्ज कराने के लिये उसके घर का पता खोजती रही। लेकिन पीड़िता व उसके परिवार का कोई पता नहीं चल पाया। जिसके बाद संदीपा भंडारी छुट्टी चली गई। पुलिस से जुड़ा मामला होने के चलते निष्पक्षता से जांच करने के लिये महिला दारोगा मीना को केस की जांच सुपुर्द कर दी। कोतवाली के वरिष्ठ उप निरीक्षक संजीव थपरियाल ने बताया कि इस नाम की कोई पीड़िता नहीं मिल पाई है। जिसके चलते केस को खारिज कर दिया गया है। दरोगा प्रदीप कुमार और ईश्वर चंद्र व सुनील को क्लीन चिट दे दी गई है।