नवीन चौहान, हरिद्वार।
मित्र पुलिस के एक दरोगा व उसके दोस्तों के साथ मिलकर एक मां बेटी से गैंगरेप का सनसनीखेज मामला पूरी तरह से संदेह के घेरे में हैं। मुकदमा दर्ज करने के बाद से जांच अधिकारी को पीड़ित परिवार का कोई सुराग नहीं मिल पाया है। जबकि मुकदमा पुलिस मुख्यालय से आदेशों के बाद 28 दिसंबर 2017 को ज्वालापुर कोतवाली में दर्ज किया गया था। इस प्रकरण में पुलिस को पीड़ित परिवार के बारे में कोई सुराग नहीं लग पाया। जब पीड़ित परिवार ही नहीं है तो पुलिस को बदनाम करने के लिये किसके इशारे पर डीजीपी को शिकायत भेजी गई। ये जांच का विषय बन गया है।
ज्वालापुर निवासी एक पीड़िता ने डीजीपी अनिल रतूड़ी को भेजे पत्र में बताया कि अपने पति के अपाहिज होने के चलते वह क्षेत्र में अवैध शराब का कारोबार करती थी। इसी दौरान अनिल कुमार और ईश्वर चंद्र के सहयोग से शराब बेचकर परिवार का खर्च चलाती थी। तब पुलिसकर्मी प्रदीप कुमार का संरक्षण मिला। पीड़िता ने बताया कि तीनों उसके घर में आकर शराब पीते और शारीरिक संबंध बनाते थे। मजबूरी के चलते वह विरोध नहीं कर पाती थी। आरोप है कि दरोगा बनने के बाद प्रदीप कुमार ज्वालापुर में तैनात हुआ। इस बार उसकी नजर उसकी बेटी पर पड़ गई। दरोगा प्रदीप कुमार ने उसकी बेटी के साथ जबरन दुष्कर्म किया। जब विरोध करने की कोशिश की गई तो दरोगा ने उलटा उनको ही मुकदमे में फंसाने का खौफ दिखाया। पीड़िता ने गुहार लगाई गई कि आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने पर आत्मदाह करने की चेतावनी दी गई। डीजीपी के आदेशों के बाद तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया था। मुकदमा दर्ज होने के बाद से जांच अधिकारी पीड़ित परिवार का पता तलाश कर रहा है। लेकिन परिवार का कोई पता नहीं चल पाया है। जांच अधिकारी को इस प्रकरण में झोल नजर आ रहा है। आखिरकार पीड़ित परिवार इतने दिनों तक चुप क्यो रहा। जब मुकदमा दर्ज हुआ तो पीड़ित परिवार गायब कहां हो गया। क्या वास्तविकता में कोई पीड़ित है। या इस पूरे मुकदमे के पीछे कोई दूसरा व्यक्ति गेम कर रहा है। दरोगा प्रदीप कुमार व अन्य दोनों सिपाहियों से बदला लेने के लिये साजिश रची गई है। पुलिस इस केस की तह में जाने की कोशिश कर रही है। एडीजी कानून एवं व्यवस्था अशोक कुमार ने बताया कि पीड़ित परिवार के मिलने पर ही सच का पता चल पायेगा।