उत्तराखंड की गौरी मिश्रा ने अटल जी की कविता को दिया अपना स्वर, जानिए पूरी खबर




नवीन चौहान, हरिद्वार। उत्तराखंड की कवयित्री गौरी मिश्रा ने पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई जी कविताओं को अपने स्वर में प्रस्तुत कर इंदौर में समां बांध दिया। इंदौर के श्रोताओं ने गौरी मिश्रा के स्वर में प्रस्तुत अटल जी कविताओं को खूब सराहा तथा श्रोताओं ने दिल खोलकर तालियां बजाई।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई पत्रकार, कवि और नेता थे। उनके द्वारा लिखी गई कवितायें समाज को प्रेरित करने का कार्य करती थी तथा युवाओं में जोश भरती थी। अटल जी के निधन के बाद उनकी याद में मध्य प्रदेश के इंदौर में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें देश के विख्यात कवियों ने काव्य पाठ किया। इस कवि सम्मेलन में भाग लेने गई उत्तराखंड के नैनीताल की कवयित्री गौरी मिश्रा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी द्वारा लिखित कविताओं को अपने स्वर में प्रस्तुत कर श्रोताआंें का दिल जीत लिया। वही गौरी मिश्रा ने अपने काव्य पाठ में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी को श्रद्धांजलि देते हुये दबे पांव आजी है ये बे अंदाज आती है, अपनी हरकतो से मौत कब ये बाज आती है। लबो पे रख लिया तुमने भले ही मौन दुनिया का, पोखरण के धमाकों से तेरी आवाज आती है। इन कविताओं को प्रस्तुत कर अटल जी की याद को जिंदा कर दिया। मंच पर हास्य कवि अरूण जैमिनी ने श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। वही प्रसिद्ध कवि मुन्ना बैटरी, अब्दुल जफ्फार, संपत सरल और कमल मनोहर ने भी अपनी मंच से प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम का संचालन कवि शशि कांत और अध्यक्षता अरूण जैमिनी ने की।



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