उत्तराखंड। 11 वें ज्योर्तिलिंग व पर्वतराज हिमालय की गोद में बसें भगवान केदारनाथ की यात्रा का आगाज रविवार को केदार पुरी के क्षेत्र रक्षक भैरव पूजन के साथ होगा। युगों से चली परम्परा के अनुसार भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर से धाम रवाना होने से पूर्व शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में भैरव पूजन की परम्परा है। इसी परम्परा के तहत रविवार को भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में भैरव पूजन के साथ केदारनाथ यात्रा का आगाज होगा।
भैरवनाथ को केदार पुरी का क्षेत्र रक्षक माना जाता है तथा लोक मान्यताओं के अनुसार भैरवनाथ पूजन के बाद भैरवनाथ केदार पुरी के लिए रवाना हो जाते हैं। केदार पुरी से लगभग 1 किमी दूर सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य भैरवनाथ की तपस्थली है। केदारनाथ की तर्ज पर भैरवनाथ के कपाट खोलने व बन्द करने की परम्परा युगों पूर्व की है। मन्दिर समिति द्वारा रविवार को होने वाले भैरव पूजन की सभी तैयारियां शुरू कर दी गयी है तथा भैरव पूजन में शामिल होने के लिए विभिन्न राज्यों के श्रद्धालुओं ने ऊखीमठ की ओर रूख कर दिया है।
मन्दिर समिति कार्याधिकारी आरसी तिवारी ने बताया कि रविवार को संपन्न होने वाली भैरवनाथ पूजन की सभी तैयारियां शुरू कर दी गयी है सांय लगभग सात बजे से प्रधान पुजारियों व विद्वान आचार्यों द्वारा वेद ऋचाओं के साथ परम्परानुसार भैरव पूजन किया जायेगा। जिसमें देश-विदेश व स्थानीय श्रद्धालु शामिल होकर 10 मई से शुरू होने वाली केदारनाथ यात्रा के निर्विघ्न संपन्न होने तथा विश्व समृद्धि व क्षेत्र की खुशहाली की कामना करेंगे। उन्होंने बताया कि उच्चाधिकारियों के निर्देश पर भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी ओंकारेश्वर मन्दिर को फूलों से सजाया गया है।