नवीन चौहान
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री का चेहरा बदला तो भाजपा विधायक खनन माफियाओं के पैरोकार बनकर सामने आने लगे। जिसके चलते खनन माफियाओं के हौसले एक बार फिर बुलंद हो गए। जिला प्रशासन की कार्रवाई में विधायकों का हस्तक्षेप शुरू हो गया है। हालांकि जिला प्रशासन माफियाओं के मंसूबों को नाकाम करने का हरसंभव प्रयास कर रहा है। अवैध खनन में संलिप्त वाहनों को सीज कर रहा है।
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के पक्षधर रहे। उन्होंने प्रदेश में अवैध खनन पर प्रभावी तरीेके से अंकुश लगाने के निर्देशित किया था। जिला प्रशासन भी माफियाओं पर सख्त कार्रवाई कर रहा था। जिसके चलते अवैध खनन पर काफी हद तक अंकुश लगा हुआ था। लेकिन उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन हुआ और नए मुख्यमंत्री के तौर पर तीरथ सिंह रावत को प्रदेश की कमान मिली। जिसके बाद से ही भाजपा विधायक निरंकुश हो गए। भाजपा विधायक खनन माफियाओं की पैरोकारी में जुट गए। अवैध खनन में पकड़े जाने वाले वाहनों को छुड़ाने के लिए प्रशासन पर दबाब देने लगे। जनपद का हाल कुछ ऐसा हो गया कि माफियाओं की दबंगई एक बार फिर से शुरू हो गई।
बताते चले कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में भाजपा विधायकों के गलत कार्यो को मंजूरी नही मिलती थी। जिसके चलते भाजपा विधायक तत्कालीन मुख्यमंत्री की कार्यशैली से नाखुश थे। भाजपा के तमाम नाराज विधायकों ने तत्कालीन मुख्यमंत्री के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया। भाजपा विधायकों के दबाब में हाईकमान ने नेतृत्व परिवर्तन करने का फैसला लिया। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को प्रदेश का नया मुख्यमंत्री बनाया गया। भाजपा विधायकों की बल्ले—बल्ले हो गई। विधायकों के भी इच्छा शक्ति प्रबल हो गई। इसी का नतीजा यह है कि हरिद्वार में अवैध खनन के खेल में भाजपा विधायकों की दखल बढ़ गई।
फिलहाल जिला प्रशासन कोरोना संक्रमण काल में जनता के जीवन को सुरक्षित बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। वही दूसरी ओर खनन माफिया भाजपा विधायकों की सरपस्ती में अवैध खनन में मस्त है। प्रदेश को राजस्व की हानि हो रही है। अवैध खनन के वाहनों को पकड़ने वाले प्रशासनिक अधिकारियों को विधायकों की खरी खोटी सुननी पड़ रही है। प्रदेश में एक बार फिर से अराजकता का माहौल पैदा हो गया है। भाजपा विधायक चंद माफियाओं की पैरवी करके प्रदेश को राजस्व का नुकसान कराने पर आमादा है। जबकि कोरोना संकट की घड़ी में गरीब जनता अपने आर्थिक जरूरतों के लिए संघर्ष कर रही है।