नवीन चौहान कोरोना ने कितने ही लोगों की जान लील ली है। अपनों को खोने का दर्द वह जान रहा है जिसका अपना इस महामारी में चला गया है। आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है। यहां एक महिला को कोरोना संक्रमित से मौत होना मानकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। लेकिन यह महिला 15 दिन बाद जिंदा अपने घर लौटी तो परिजनों के चेहरे खिल उठे।
मीडिया रिपोर्टस के अनुसार कृष्णा जिले के क्रिश्चियनपेट इलाके की रहने वाली मुत्याला गिरिजम्मा (75) कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गई थीं। परिजनों ने 12 मई को उन्हें विजयवाड़ा के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया था। भर्ती कराने के बाद पति गदय्या घर लौट गए। 15 मई को हालचाल जानने के लिए वह अस्पताल गए तो पाया कि गिरिजम्मा अपने बेड पर नहीं थीं।
जिसके बाद गिरिजम्मा के पति ने उसकी दूसरे वार्डों में भी तलाश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला। अस्पताल के कर्मचारियों ने गदय्या को शवगृह में जाकर जानकारी करने को कहा। बताया गया कि शवगृह में उन्हें अपनी पत्नी के जैसा ही एक शव मिला। अस्पताल के अधिकारियों ने गिरिजम्मा का मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर शव उन्हें दे दिया। परिजन गिरिजम्मा का शव लेकर अपने घर गए और उसी दिन अंतिम संस्कार कर दिया।
इस घटना के करीब 15 दिन बाद गिरिजम्मा अचानक अपने घर पहुंच गई। उसे देखकर परिवार वालों में खुशी की लहर दौड़ गई। गिरिजम्मा ने बताया कि वह अस्पताल के ही दूसरे वार्ड में थीं। जब इंतजार के बाद भी कोई उन्हें लेने नहीं आया तो वह खुद ही घर की ओर निकल पड़ीं। अब सवाल ये भी उठ रहा है कि वह महिला कौन थी जिसका अंतिम संस्कार गिरिजम्मा के परिजनों ने किया। यह घटना क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है।
लोगों का कहना है कि कोरोना से ही इस परिवार के एक अन्य सदस्य की भी मौत हो चुकी है। ऐसे में गिरिजम्मा के लौटने से परिजनों में खुशी का माहौल है।
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