कोतवाली में किसको छुड़ाने पहुंचे भाजपाई, हाईवोल्टेज ड्रामे में फजीहत कराई




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दीपक चौहान.
महिला उत्पीड़न के संबंध में भाजपा कार्यकर्ता को ज्वालापुर कोतवाली पुलिस को लेकर आना मुसीबत का सबब बन गया। कोतवाली परिसर में करीब चार घंटों तक हाईवोल्टेड ड्रामा चलता रहा। पुलिस मुर्दाबाद और जय श्रीराम के नारे लगाए गए। कार्यकर्ताओं के सम्मान में रानीपुर विधायक आदेश चौहान को पहुंचना पड़ा और पुलिस मूकदर्शक बनकर तमाशा देखती रही।

पुलिस पर अभद्रता करने के आरोप लगाने वाली भाजपा प्रकरण के मूल बिंदु से भटक गई और कुछ भी बोलने से बचती रही। सवाल जस का तस रहा कि भाजपाई कोतवाली में किसको छुड़ाने पहुंचे थे। प्रभारी निरीक्षक प्रदीप बिष्ट की सादगी भी सभी को पसंद आई।

एक महिला के उत्पीड़न के संबंध में शिकायती प्रार्थना पत्र की जांच करने के लिए ज्वालापुर कोतवाली पुलिस की टीम मौहल्ला कड़च्छ से एक भाजपा कार्यकर्ता को रविवार की सुबह करीब 11 बजे कोतवाली परिसर लेकर आ गई। पुलिस आरोपी भाजपा कार्यकर्ता से पूछताछ कर मामले की सच्चाई जानने में जुटी थी। महिला उप निरीक्षक आरोपी भाजपा कार्यकर्ता से पूछताछ कर रही है। आरोपी भाजपा कार्यकर्ता को छुड़ाने के लिए पुलिस पर फोन आने शुरू हो गए।

कोतवाली प्रभारी निरीक्षक प्रदीप बिष्ट आरोपी पक्ष के लोगों को आश्वस्त करते रहे कि महिला की शिकायत को तस्दीक कर ले। जांच पूरी होने के बाद आरोपी को छोड़ दिया जायेगा। इसी दौरान एक भाजपा कार्यकर्ता वरूण वशिष्ठ कोतवाली ज्वालापुर पहुंचा। वरूण ने उप निरीक्षक वारू सिंह चौहान से मुलाकात की और आरोपी भाजपा कार्यकर्ता के प्रकरण की जानकारी लेने के लिए कोतवाली परिसर में पहुंचे।

महिला सेल में तमाम लोगों की भीड़ लगी थी। महिला उप निरीक्षक आरोपी से पूछताछ कर रही थी। जबकि महिला सेल के कक्ष के बाहर बहुत हल्ला गुल्ला शोरगुल चल रहा था। भाजपा कार्यकर्ता वरूण वशिष्ठ प्रभारी निरीक्षक प्रदीप बिष्ट से मिलने उनके कक्ष में प्रवेश करने लगे। प्रदीप बिष्ट कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए मीटिंग में व्यस्त थे। तभी प्रभारी निरीक्षक के मोबाइल पर फोन आया और वह फोन सुनते हुए शोरगुल वाले महिला सेल की तरफ तेज कदमों से बढ़ने लगे।

महिला सेल के बाहर वरूण वशिष्ठ सहित कुछ भाजपाई खड़े थे। प्रभारी निरीक्षक प्रदीप बिष्ट ने महिला सेल के बाहर से उपस्थित लोगों को हट जाने के लिए कहा और सभी को वहां से दूर कर दिया। एसएसआई नवीन चौहान, प्रभारी निरीक्षक प्रदीप बिष्ट अपने अपने कार्यो में लग गए।
कुछ ही देर में कोतवाली में भाजपा कार्यकर्ता से अभद्रता करने का मामला तूल पकड़ने लगा। एक दूसरे को फोन होने लगे। भाजपाईयों की भीड़ कोतवाली ज्वालापुर की तरफ कूच करने लगी। शाम होते होते कोतवाली प्रांगण भाजपाईयों से लबालब भर चुका था। पुलिस पर अभद्रता करने के आरोप की बात पूरे हरिद्वार शहर को पता चल चुकी थी।

कार्यकर्ताओं के फोन विधायक आदेश चौहान को पहुंचे तो अपने कार्यकर्ताओं के सम्मान में वह भी कोतवाली पहुंच गए। रानीपुर विधायक आदेश चौहान को देखते ही कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर पहुंच गया और पुलिस के खिलाफ जोरदार तरीके से प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। हालांकि विधायक आदेश चौहान पूरे प्रकरण से पूरी तरह से अनभिज्ञ नजर आए लेकिन कार्यकर्ताओं के सम्मान में वह पूरी तरह से उनके साथ खड़े रहे। सीओ शांतनु पराशर ने भाजपाईयों को समझाने का काफी प्रयास किया। उनके प्रयासों के बाद भाजपाई काफी हद तक शांत नजर आए।

इसी बीच एसपी क्राइम पंकज गैरोला पहुंचे। विधायक आदेश चौहान ने एसएसपी प्रमेंद्र डोबाल से बातचीत की। पंकज गैरोला ने विधायक आदेश चौहान से पूरे मामले का पटाक्षेप करने को कहा। भाजपा नेताओं की उपस्थिति में कार्यकर्ताओं के सम्मान को बरकरार रखने की सहमति पर विधायक आदेश चौहान ने धरना प्रदर्शन खत्म करने की अपील की। इस पूरे प्रकरण पर पुलिस मूकदर्शक बनकर खड़ी रही। विधायक जी की गाड़ी कोतवाली से निकल गई। चंद मिनटों के बाद पुलिस और भाजपाई एक दूसरे से सम्मानजनक तरीके से हाथ मिलाकर निकल गए।

कुछ ही पलों में ज्वालापुर कोतवाली परिसर हाईवोल्टेज ड्रामे के बाद पूरी तरह से खाली हो गया। पुलिस अपने कार्यो में व्यस्त हो गई। लेकिन यह बात समझ से परे रही कि आखिरकार परिणाम क्या रहा। लेकिन सबसे बड़ी बात कि भाजपा कार्यकर्ता वरूण वशिष्ठ बेहद ही शालीन और सभ्य है। उनके बात करने का अंदाज भी बेहद सम्मानजनक है। विधायक आदेश चौहान के करीबी होने के साथ ही वह उनके लाड़ले भी है। तो फिर उनको गलतफहमी कैसे हुई।

प्रभारी निरीक्षक प्रदीप बिष्ट की बात करें तो वह अपने कर्तव्य के लिए बेहद सजग रहने वाले है। जनता के मिलनसार है और अपराधियों में उनके नाम का खौफ रहता है। अनुभवी पुलिसकर्मी होने के साथ ही राजनैतिक दलों से संतुलन बनाकर कानून व्यवस्था का अनुपालन कराने की कला भी उनमें बखूवी है। तो फिर गलतफहमी कैसे हुई। सवाल बरकरार है कि फजीहत किसकी हुई।



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