11 साल से व्हीलचेयर पर फिर भी लहराया परचम, चार विषयों में उत्तीर्ण किया नेट जेआरएफ




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  • मोटिवेशन का पर्याय बनी पतंजलि विश्वविद्यालय की शोधार्थी पूजा आर्या

न्यूज 127.
पतंजलि विश्वविद्यालय हरि‌द्वार की शोधार्थी पूजा आर्या ने यूजीसी नेट परीक्षा में लगातार चौथी बार कीर्तिमान रचा है। उन्होंने वर्ष 2019 में प्रथम प्रयास में ही मनोविज्ञान विषय में जेआरएफ किया था। उसके बाद वर्ष 2022 में पूजा ने सोशियोलॉजी विषय से जेआरएफ की परीक्षा पास की। अगले ही वर्ष 2023 में पूजा ने योग विषय से नेट जेआरएफ में अव्वल स्थान प्राप्त किया। इस बार दिसंबर 2024 की परीक्षा में भी पूजा ने नेट जेआरएफ की परीक्षा उत्तीर्ण कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है। पूजा ने इस बार यह कीर्तिमान “फिलासॉफी” यानी दर्शनशास्त्र विषय में रचा।

पहले ही प्रयास में सफलता
खास बात यह है कि इस बार भी उन्होंने प्रथम प्रयास में ही एग्जाम को क्वालीफाई कर लिया। अब वो चार विषयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए योग्य हो गई हैं। पूजा हर बार अपना विषय भी बदल देती हैं और उन्हें सफलता भी पहले ही प्रयास में मिल जाती है। जब पूजा से इसका राज़ पूछा गया तो उन्होंने अपनी स्ट्रेटजी को सांझा किया।

ऐसे की तैयारी:
पूजा प्रत्येक दिन लगभग 6 से 7 घंटे अपनी पढ़ाई को देती रहीं। उन्होंने अपने समय को पेपर-1 और पेपर-2 दोनों विभागों में बराबर विभाजित किया। पूजा का कहना है कि अकसर अभ्यर्थी अपने मुख्य विषय पेपर-2 पर तो फोकस करते हैं परंतु पेपर-1 को महत्व देना भूल जाते हैं। जबकि मुख्य विषय की पढ़ाई तो हर कोई कर रहा है, ऐसे में जो पेपर-1 (कॉमन) पर भी बराबर मेहनत करेगा, सफलता उसी को मिलेगी।

भाई डॉ सूर्य प्रकाश के साथ पूजा आर्या

भाई से ली कोचिंग
पेपर-1 की तैयारी के लिए पूजा ने अपने भाई सूर्य प्रकाश से कोचिंग ली जो कि स्वयं योग, टूरिज्म और समाजशास्त्र में पहले से जेआरएफ कर चुके हैं और यूट्यूब चैनल “नेट-जेआरएफ विद सूर्या सर” के माध्यम से युवाओं को नेट की तैयारी भी करा रहे हैं।

रामदेव और बालकृष्ण की पुस्तकों से लिया ज्ञान
पूजा ने दर्शनशास्त्र की अधिकतम पढ़ाई योग गुरु स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण द्वारा लिखित पुस्तकों से की। पूजा का मानना है कि उनकी पुस्तकों में भारतीय दर्शन का समग्र रूप देखने को मिलता है।

प्रेमानंद महाराज के रोज सुनती हैं प्रवचन
एक और आश्चर्य की बात पूजा ने बताई कि वह वृंदावन के प्रेमानंद महाराज को प्रतिदिन यूट्यूब पर सुनती हैं जिससे वह काफी मोटिवेटेड रहती हैं और परीक्षा में पूछे गए दर्शन शास्त्र के बहुत से प्रश्न उन्होंने महाराज की वार्तालाप में सुने थे, इससे उन्हें काफी मदद मिली। पूजा ने हाल ही में पतंजलि विश्ववि‌द्यालय हरिद्वार में “इफेक्ट आफ योगा ऑन स्पाइनल कॉर्ड इंजीज” विषय पर अपना शोध कार्य संपन्न किया है।

बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं:
पूजा ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन केवल नेट परीक्षा ही नहीं
अपितु आधुनिक शोध के क्षेत्र में भी किया है। उनके लिखे 5 से अधिक रिसर्च पेपर प्रतिष्ठित “स्प्रिंगर नेचर” जैसे जर्नल की सूची में शामिल हैं। पूजा ने “जी-20” जैसे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भी “व्हीलचेयर योगा” सिखाकर अपने जैसे सैकड़ों दिव्यांगों को बेहतर मानसिक-शारीरिक स्वास्थ्य के लिए एक नई दिशा दिखाई।

संघर्षपूर्ण जीवनः
पूजा की कहानी वास्तव में संघर्षों से भरी है। दरअसल वर्ष 2014 में जब पूजा दिल्ली में एक गली से गुजर रही थी तब अचानक पांचवीं मंजिल से एक घर में चल रहे कंस्ट्रक्शन की ढेरों ईंटें उनके सिर पर आ गिरी जिससे उनकी रीड की हड्डी में अनेकों चोटें आई। उनके साथ हुए इस दर्दनाक हादसे की वीडियो फुटेज भी उपलब्ध है परंतु आज तक 11 वर्षों से उन्हें कोई न्याय नहीं मिला है। पूजा तब से व्हीलचेयर पर आश्रित हैं लेकिन उनके भीतर साहस और शौर्य की ज्वाला हमेशा धधकती रहती है। वह आधे घंटे से ज्यादा बैठ भी नहीं पाती हैं परंतु उनके हौंसले बुलंद हैं। अपनी शारीरिक परेशानियों को गौण समझकर अपने मनोबल से कार्य लेती हैं।

ये है पूजा के जीवन का लक्ष्य
पूजा का विश्वास है कि ईश्वर कृपा और सतत पुरुषार्थ से असंभव लग रहे कार्य को भी संभव किया जा सकता है। पूजा का संकल्प है कि वह देश की होनहार छात्राओं, दिव्यांगजनों व वंचित महिलाओं के जीवन को बेहतर करने के लिए अपना हर संभव प्रयास करेंगी। ऐसे लोगों को सशक्त करना ही उनके जीवन का परम लक्ष्य है। वह मानती हैं कि “शिक्षा” सशक्तिकरण का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है और हमारे देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में, विशेष रूप से महिलाओं और दिव्यांगों के लिए हो रहे प्रयास उनकी आवश्यकताओं के लिहाज से पर्याप्त नहीं हैं।