नवीन चौहान.
चुनाव के बाद अब सभी को 10 मार्च का इंतजार है जिस दिन ईवीएम मशीन में रिकार्ड मतों का आकंडा बाहर सबके सामने आएगा और प्रदेश में किसकी सरकार बन रही है इसका पता चलेगा।
चुनाव नतीजे चाहे जिस पार्टी के पक्ष में आए लेकिन ये तय है कि इस बार के चुनाव में न केवल पार्टी के विभीषणों का पता चलेगा बल्कि यह भी सामने आ जाएगा कि कौन पार्टी का अपना सगा है और कौन पार्टी को दगा दे रहा है।
भाजपा में जहां भीतरघाट के आरोप लग रहे हैं, वहीं कांग्रेस को लग रहा है कि वह पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आ रही है। हाल ही में हरीश रावत ने अपना बयान दिया है कि भाजपा में चुनाव नतीजों के बाद लठ चलेंगे। वह दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस उन सीटों पर भी जीत हासिल कर रही है जिन सीटों को वह कमजोर मान कर चल रही थी।
देहरादून में कांग्रेस के मुख्यायल में हरीश रावत ने नींबू सन्नी पार्टी का आयोजन कर चुनाव नतीजों से पहले ही जश्न मनाया। इस दौरान चुनाव में जुटे कार्यकर्ताओं का उत्साह भी बढ़ाया। पार्टी मुख्यालय में दिनभर जश्न का माहौल रहा।
वहीं दूसरी ओर भाजपा में अभी खामोशी छायी है। पार्टी पदाधिकारी दावा कर रहे हैं कि इस बार भाजपा फिर से सत्ता में आ रही है, लेकिन जिस तरह से प्रत्याशी भीतरघाट का आरोप लगा रहे हैं उससे पार्टी हाईकमान की चिंता भी बढ़ गई है। प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हाल ही में दिल्ली बुलाए गए, वहां से जब वह लौटे तो सीधे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिले।
इन दोनों की मुलाकात के भी अलग अलग मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीति के गलियारे में चर्चा है कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जिस तरह से चार साल तक प्रदेश में सत्ता चलायी वह काबिले तारीफ है, लेकिन कुछ भीतरघातियों ने उन्हें भी कुर्सी से हटाकर अपनी चाल को सफल कर लिया था।
चर्चा है कि भाजपा को ऐसे ही भीतरघातियों का डर सता रहा है। भाजपा ने अपनी रणनीति में कोई कमी नहीं छोड़ी। जीत के लिए पन्ना प्रमुख बनाए, मेरा बूथ सबसे मजबूत की रणनीति बनायी। लेकिन जिस तरह से मतदान के बाद रोज मतदताओं का प्रतिशत सामने आ रहा है उससे प्रत्याशियों की नींद उड़ी है।
अब देखना यही है कि 10 मार्च को मतगणना के बाद कौन जीतेगा कौन हारेगा, भाजपा के भीतरघाती अपने मकसद में कामयाब हुए या नहीं ये भी मतदान के बाद सामने आ जाएगा। इसीलिए अब सभी को 10 मार्च का बेसब्री से इंतजार है।