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एहतेशाम ने खुद दर्द सहा पर उफ़्फ़ न की। हमारे हरिद्वार के ज्वालापुर नगर स्थित अहबाब नगर निवासी युवा एहतेशाम। युवाओं की ब्लड डोनेशन टीम में सेवाएं प्रदान करते हैं। टीम को परसों एम्स ऋषिकेश से कॉल आई कि एम्स में भर्ती देहरादून की महिला बाला देवी को wbc अर्थात श्वेत रक्त कोशिकाओं की तत्काल आवश्यकता है। रोगी गरीब परिवार से है और wbc डोनर नहीं जुटा पाई। टीम ने मैसेज को अपने व्हाट्सएप ग्रुप पर प्रसारित कर दिया।
जानकारी मिलते ही रमज़ान में रोजे से चल रहे एहतेशाम विचलित हो गए। एम्स ने बता दिया था कि जो डोनर श्वेत रक्त कोशिकाएं दान देगा उसे लंबे समय तक दर्द से गुजरना पड़ेगा। विशेषरूप से पैरों और कमर में दो तीन महीने तक असहनीय दर्द रहेगा। युवा एहतेशाम रोजे से थे अतः जानते थे कि उन्हें रोजा भी तोड़ना पड़ेगा । लेकिन उनका दिल न माना और सीधे एम्स जा पहुंचे। उन्होंने रोजे तोड़ दिए और बाला देवी को अपने रक्त से wbc देकर एक बड़ी मिसाल कायम की।
देख लीजिए दोस्तों ! देख और समझ लीजिए। खून का रंग न भगवा होता है और न हरा। लाल होता है तभी तो किसी का खून किसी के भी काम आ सकता है। एहतेशाम ने जो मिसाल कायम की वह रास्ता दिखाने वाली है। उन्होंने जो रोजे नहीं रखे, निश्चित रूप से अल्लाह ने वे भी कुबूल कर लिए। एहतेशाम तुम्हारे जज्बे को लाखों सलाम।
…स्टोरी साभार वरिष्ठ पत्रकार कौशल सिखौला जी की फेसबुक वॉल से