नवीन चौहान
मातृ सदन के संत ब्रह्मचारी दयानंद की ओर से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, एसडीएम कुश्मचौहान, कनखल एसओ विकास भारद्वाज, मुख्य चिकित्सा अधिकारी सरोज नैथानी, तहसीलदार लक्सर सुनैना राणा, चौकी इंचार्ज जगजीतपुर लाखन सिंह, समेत 150 पुलिसकर्मियों के खिलाफ सीजीएम कोर्ट में परिवाद दर्ज कराया गया है। ब्रह्मचारी दयानंद ने अधिवक्ता अरुण भदोरिया के माध्यम से याचिका दायर की गई थी। जिसकी सुनवाई करते हुए सीजेएम कोर्ट ने 14 फरवरी 2020 की तारीख सुनवाई के लिए नियत की गई है। आरोप है कि इन सभी ने मातृ सदन में अनशन कर रही साध्वी पद्मावती को जबरन उठाया और अस्पताल में भर्ती कराया है।
ब्रह्मचारी दयानंद ने अधिवक्ता अरुण भदौरिया के माध्यम से सीजीएम कोर्ट में दायर की गई याचिका में बताया कि गुरू बहन साध्वी ब्रहमचारिणी पदमावती आश्रम में प्रथम श्रेणी से स्नातक की शिक्षा ग्रहण की की है। बचपन से ही अध्यात्मिकता की ओर मन ध्यान रहने के कारण विधिवत रूप से वादी प्रात: वन्दनीय परम पूज्य गुरू देव जी से गुरूदीक्षा ली और वर्ष 2018 में स्वामी सानद महाराज का गंगा जी के लिए किये गयें त्याग की साक्षी रही है। उसके बाद स्वामी सानद की मांगो को लेकर वादी की गुरूबहन साध्वी ब्रहमचारिणी पदमावती ने अपने गुरूभाई ब्रहमचारी आत्मबोधानन्द के साथ गंगाजी के लिए दिल्ली से आयें अधिकारियों के द्वारा किये गयें वायदों को पूर्ण न करने क कारण शासन प्रशासन और उक्त अधिकारियों को भी सूचना दिए जाने के बाद 15 दिसंबर 2019 से मातृ सदन आश्रम में पूर्ण शान्ति से और संवैधानिक दायरे में उक्त वायदे को पूर्ण करने के लिए तपस्या प्रारम्भ की।
साध्वी द्वारा बताया गया कि 28 जनवरी 2020 से 30 जनवरी 2020 तक दिन रात अत्यधिक ध्वनिप्रदूषण होने के कारण गुरूबहन साध्वी को एसिडिटि की शिकायत हुई जो कि 30 जनवरी में जिला चिकित्सालय की टीम को साध्वी ने बताया कि उन्हे एसिडिटि हो रही है। जिसके बाद डॉ ने साध्वी को दवाई दी गई। 30 जनवरी 2020 की रात को जब साध्वी का स्वास्थ्य पूर्ण स्वस्थ था विपक्षी संख्या 4 ने दवाई असर होने की जानकारी हाने के बावजूद कि साध्वी पूर्णरूप से स्वस्थ है अपने सहयोगियों के साथ फर्जी व झूठी रिपोर्ट बनाई।
आरोप है कि 30 जनवरी की रात 11 बजे विपक्षीगण साध्वी की तपस्थली एवं विश्राम कक्ष में जबरदस्ती दरवाजे को तोड़कर गंदे जूतों को पहनकर प्रवेश किया गया। और उनकी पवित्रता को भंग किया गया। उसके बाद साध्वी को जबरदस्ती उठाकर आश्रम से ले जाया गया। जिससे साध्वी के साथ भी ब्रहमलीन स्वामी निगमानंद तथा ब्रहमलीन स्वामी सानंद महाराज के साथ हुई हत्या की घटना का पूर्णरूप से आंदेशा ही नहीं विश्वास हो गया है।