नवीन चौहान
भेल में कार्यरत 10 यूनियनों इंटक (हीप व सीएफएफपी), एटक (हीप व सीएफएफपी), एचएमएस (हीप व सीएफएफपी), सीटू, बीएमटीयू, बीकेयूएम, बीकेकेएमएस के पदाधिकारियों ने संयुक्त रुप से भेल, हरिद्वार में भेल प्रबंधन एवं केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इंटक(हीप) के महामंत्री राजबीर सिंह ने कहा कि जब तक मांगे नहीं मानी जाएगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
इस दौरान 12 नवंबर को दिल्ली में होने जा रही जेसीएम की बैठक में विभिन्न मुद्दों के समाधान कराए जाने हेतु श्रमिकों की मांगों का ज्ञापन मानव संसाधन महाप्रबन्धक के माध्यम से निदेशक के माध्यम से कॉरपोरेट कार्यालय दिल्ली को भेजा गया। इसी के साथ केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों एवं हठधर्मिता के खिलाफ 26 नवंबर को होने जा रही देशव्यापी हड़ताल में शामिल होने के लिए मानव संसाधन प्रबंधक हरिद्वार को समस्त यूनियनों द्वारा हड़ताल का नोटिस सौंपा गया।
प्रदर्शन में यह हुए शामिल
इस मौके पर एचएमएस (हीप) के महामंत्री मनीष सिंह, एटक (सीएफएफपी) के महामंत्री सौरभ त्यागी, सीटू के अध्यक्ष विरेन्द्र नेगी, एटक (हीप) के महामंत्री संदीप चौधरी, बीएमटीयू के महामंत्री अवधेश कुमार, बीयूकेएम के अध्यक्ष रितेश सिंहल, इंटक (सीएफएफपी) के अध्यक्ष सुकरमपाल सिंह, एटक (सीएफएफपी) के अध्यक्ष आईडी पंत, इंटक (सीएफएफपी) के महामंत्री केपी सिंह, एटक (हीप) के अध्यक्ष मनमोहन कुमार, एचएमएस के अध्यक्ष एमपी सिंह, सीटू के सुरेंद्र कुमार, बीएमटीयू के अध्यक्ष नीशू कुमार, अन्य यूनियनों के मुकुल राज, रविप्रताप राय, अमृत रंजन, सचिन चौहान, अश्वनी चौहान, नईम खान, इमतियाज, जितेंद्र पटेल, सुनील कुमार, संकल्प त्यागी, अजित सिंह, दीपक कुमार, रामसंजीवन, सुनील कुमार, पवन कुमार, संतोष तिवारी आदि उपस्थित रहे।
भेल प्रबन्धन से यह उठाई मांगे
— श्रमिकों के वेतन मे से 50% पर्क्स कटौती को शीघ्र बन्द किया जाये तथा एरियर सहित 100% पर्क्स का भुगतान किया जाए।
— 2019-20 के बोनस/एसआईपी एवं पीपीपी का भुगतान जल्द किया जाए।
— 01 अप्रैल से डीए वृद्धि को बहाल किया जाए।
— कैन्टीन एवं ट्रांसपोर्ट सब्सिडी को खत्म करने के प्रस्ताव को निरस्त किया जाए।
— केन्द्रीयकृत इंसेटिव स्कीम को शीघ्र लागू किया जाए।
— लैपटॉप प्रतिपूर्ति को बहाल किया जाये।
— 01 करोड का टर्म इंश्योरेंस शीघ्र लागू किया जाए।
— समस्त पे-अनामली को शीघ्र दूर किया जाए।
केंद्र सरकार से यह मांगें
— सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेशीकरण/निजीकरण पर रोक लगायी जाए।
— मजदूर विरोधी श्रम संहिताओ को वापस लिया जाए।
— समय से पूर्व सेवानिवृति के उत्पीडनमय आदेश को वापिस लिया जाए।
— सार्वजनिक क्षेत्र की परिसंपत्तियो के मोनेटाईजेशन पर रोक लगायी जाए।
— केन्द्र एवं राज्य सरकारो मे रिक्त पदो पर शीघ्र भर्ती की जाए।
— बोनस एवं प्रोविडेन्ट फण्ड की अदायिगी पर सभी बाध्यता सीमा हटाई जाए।
— सभी के लिए पेंशन लागू की जाये तथा ईपीएस पेंशन मे सुधार किया जाए।
— न्यूनतम वेतन 21000 रुपये शीघ्र घोषित किया जाए।