जोगेंद्र मावी
पूर्व विधायक अंबरीष कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्यसभा में दिए ब्यान पर सवाल खड़े किए है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्यसभा में प्रधानमंत्री ने उत्तर देते हुए किसान आंदोलन का जो उपहास उड़ाया तथा किसानों को आंदोलनजीवी और समर्थन देने वालों को आंदोलन परजीवी बताया। यह लोकतंत्र में सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठे प्रधानमंत्री ने लोकतंत्र का ही उपहास उड़ाया।
पूर्व विधायक अंबरीष कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी स्वयं 1974 में गुजरात में हुए नवनिर्माण आंदोलन में भागीदारी कर रहे थे। सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान की व्याख्या करते हुए विरोध प्रदर्शनों को लोकतांत्रिक अधिकार बताया है विश्व का इतिहास आंदोलनों का इतिहास है। पीएम मोदी की परिभाषा के मुताबिक महात्मा गांधी, शहीदे आजम भगत सिंह, राम प्रसाद बिस्मिल, जयप्रकाश नारायण, अन्ना हजारे और शहीद सभी वो लोग जिन्होंने जन समस्याओं के लिए आंदोलन चलाया और जनता को दिशा दी आंदोलन परजीवी ही आंदोलनजीवी है। अभी बंगाल में नेताजी सुभाष बोस का गुणगान करने वाले पीएम मोदी के मुताबिक तो वह भी आंदोलनजीवी थे। विदेशों से किसान आंदोलन को मिल रहे समर्थन को साजिश बताकर अपनी मानसिकता का परिचय दे रहे हैं एक तरफ तो मोदी जी एफडीआई के आंकड़ों को बताकर गर्व का एहसास करते हैं और दूसरी तरफ एफडीआई को फॉरेन विनाशकारी विचारधारा बता रहे हैं। हम मोदी जी को कहना चाहते हैं कि किसान का उपवास उड़ाने से पहले किसान आंदोलन के इतिहास की जानकारी कर लें।
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